रायपुर, (विशाल वैष्णव)। दीपावली का त्यौहार आते ही रायपुर शहर में मिठाइयों की खुशबू हर गली-मोहल्ले में फैल जाती है, लेकिन इन दिनों जो मिठाई सबसे अधिक चर्चा में रहती है, वह है रायपुर की प्रसिद्ध अकबरी मिठाई। यह वही मिठाई है, जिसका स्वाद सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों को मोह लेता है। खास बात यह है कि अकबरी मिठाई पूरे भारत में सिर्फ रायपुर क्षेत्र में ही बनाई जाती है, और इसका इतिहास राजघरानों के समय से जुड़ा हुआ है।
पुराने समय में यह मिठाई राजा-महाराजा और सामंतों के भोज का अहम हिस्सा हुआ करती थी। आज भी यह परंपरा कायम है, और दीपावली के अवसर पर रायपुर की अकबरी मिठाई हर घर की शान बन चुकी है। इसे शरद पूर्णिमा से लेकर भाई दूज तक यानी लगभग 20 दिनों तक ही बनाया जाता है। इस अवधि में मौसम ऐसा रहता है, जिसमें इसका असली स्वाद और कुरकुरापन बना रहता है।
रायपुर के नामी हलवाई — शिवलाल माली, राजू, मुकेश, गौतम, राकेश सेठिया, जगदीश सेठिया, किशनदास वैष्णव, कन्हैयालाल चिपड़, शंभूसिंह रावणा राजपूत, मांगीलाल माली और नारायण सुथार सहित करीब 100 से अधिक हलवाई हर साल हजारों टन अकबरी मिठाई तैयार करते हैं। दीपावली के सीजन में इसका उत्पादन अपने चरम पर होता है और इसी दौरान राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में बसे प्रवासी लोग इसे पार्सल के माध्यम से मंगवाते हैं।
हलवाइयों का कहना है कि अकबरी मिठाई का स्वाद उन खास दिनों में ही बनता है जब मौसम अनुकूल होता है। उसके बाद यदि इसे बनाया भी जाए, तो वह स्वाद नहीं टिकता जो इन 20 दिनों में महसूस होता है। कहा जाता है कि जिसने एक बार अकबरी का स्वाद चख लिया, वह उसे कभी भूल नहीं पाता।
अकबरी मिठाई देशी घी से बनती है और इसकी कीमत बाजार में 300 से 400 रुपये किलो तक रहती है। हलवाई मुकेश सेठिया बताते हैं कि “अकबरी का इतिहास हमारी तीन पीढ़ियों से जुड़ा है। हमारे दादा और पिता जी के समय से यह मिठाई हमारे परिवार की पहचान रही है। हम इसे आज भी कम लागत में उतनी ही शुद्धता और स्वाद के साथ बनाते हैं जितना पुराने जमाने में बनता था।”
इस मिठाई की सबसे खास बात यह है कि इतने वर्षों बाद भी इसकी कीमत आम आदमी की पहुंच में बनी हुई है। शायद यही वजह है कि दीपावली के मौके पर आज भी हर घर में अकबरी का स्वाद लिया जाता है और यह रायपुर की पहचान बन चुकी है।
अकबरी मिठाई बनाने की पारंपरिक विधि
अकबरी मिठाई बनाने के लिए सबसे पहले चावल के आटे को देशी घी और गाढ़ी चाशनी में गूंथा जाता है। फिर इसे सांभर बड़े की तरह गोल आकार में तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे देशी घी में तब तक तला जाता है जब तक यह सुनहरी और कुरकुरी न हो जाए। तली हुई अकबरी को फिर से चाशनी में डुबोया जाता है और बड़े-बड़े खोमचों में सजाया जाता है।
इसकी खुशबू और स्वाद ऐसा होता है कि दीपावली पर आने वाला हर मेहमान इसके बिना मिठाई की थाली अधूरी मानता है। रायपुर की यह पारंपरिक अकबरी न सिर्फ एक मिठाई है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और स्वाद की विरासत भी बन चुकी है।
