जीवन और मौत के बीच झूलती 600 ग्राम की जिंदगी,महात्मा गांधी अस्पताल में लावारिस छोड़ी गई नवजात

Update: 2025-11-13 13:14 GMT

 भीलवाड़ा प्रह्लाद तेली . शहर के महात्मा गांधी अस्पताल में गुरुवार को मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। अस्पताल परिसर में एक नवजात बच्ची को लावारिस हालत में छोड़ दिया गया। यह बच्ची मात्र 600 ग्राम की है और जीवन तथा मौत के बीच संघर्ष कर रही है। प्री-मेच्योर (असमय जन्मी) इस बच्ची को अस्पताल प्रशासन ने तत्काल नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भर्ती कराया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों की टीम उसे बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

बाल कल्याण समिति (CWC) ने इस घटना को अत्यंत दुखद बताते हुए इसे समाज के लिए शर्मनाक बताया। समिति के सदस्य विनोद राव ने कहा कि नवजात को लावारिस छोड़ना न केवल अमानवीय कृत्य है बल्कि यह बच्ची की जान के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि कोई किसी कारणवश नवजात की परवरिश करने में असमर्थ है, तो उसे लावारिस छोड़ने के बजाय ‘पालनाग्रह’ में सुरक्षित रूप से सौंप दें।

राव ने बताया कि महात्मा गांधी अस्पताल परिसर और पालड़ी स्थित ‘पालनाग्रह’ में नवजात बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं। किसी भी बच्चे को वहां बिना किसी कानूनी झंझट के सुरक्षित छोड़ा जा सकता है।

अस्पताल सूत्रों के अनुसार बच्ची अत्यंत कमजोर है और डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को चिंताजनक बताया है। अत्याधुनिक जीवनरक्षक उपकरणों के सहारे NICU में उसका इलाज चल रहा है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या समाज में आज भी बेटियों के जन्म को बोझ समझा जा रहा है। पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने परिजनों की तलाश शुरू कर दी है, जबकि चिकित्सक इस नन्ही जान को बचाने के लिए दिन-रात जुटे हैं।

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