भीलवाड़ा। बनास नदी क्षेत्र में बजरी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन वैध खनन की प्रक्रिया लम्बे समय से रुकी होने के कारण अवैध खनन ने तांडव मचा रखा है। स्थानीय प्रशासन इस चुनौती का सामना करने में असमर्थ दिखाई दे रहा है।
खनिज विभाग ने जिले में कुल 34 बजरी प्लॉटों को नीलामी के लिए तैयार किया था, लेकिन पर्यावरणीय अनुमति न मिलने के कारण अधिकांश लीज केवल कागजों तक सीमित रह गईं। वर्तमान में जिले में केवल पांच प्लॉट ही प्रभावी रूप से चालू हैं, जो बढ़ती मांग को पूरा करने में नाकाफी साबित हो रहे हैं।
पर्यावरण विभाग ने 13 प्लॉट के लिए आवश्यक शर्तों के दस्तावेज जारी किए, लेकिन लीजधारकों ने अभी तक जनसुनवाई के लिए आवेदन नहीं किया है। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रक्रिया पूरी तरह ठप पड़ी हुई है।
खनिज विभाग के अनुसार, पांच ही प्लॉट में खनन शुरू हो पाया है। इनमें रायपुर-सहाड़ा, आकोला, आसींद, हुरड़ा और बिजयनगर शामिल हैं। हालांकि, हुरड़ा और बिजयनगर से खनन की गई बजरी शहरी इलाकों तक नहीं पहुंच पा रही है, जिससे शहरों में अवैध बजरी की निर्बाध आपूर्ति जारी है और संकट और बढ़ रहा है।