छालर घटियाली देवनारायण कांसया : जहां आज भी जीवंत हैं दही और घोड़ों के निशान
शक्करगढ़ कांसया ग्राम स्थित छालर घटियाली देवनारायण स्थान श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान श्री देवनारायण जी का परिवार वर्षों पूर्व मालवा से आते समय रुका था।
यात्रा के दौरान उनकी प्रिय गाय छालर यहीं आकर गुम हो गई थी। इसी घटना के बाद से इस स्थान का नाम छालर घटियाली प्रसिद्ध हुआ।
स्थानीय मान्यता के अनुसार भगवान देवनारायण जी की माता साडू माता ने यहीं पर छाछ बिलोई थी। उस समय बने दही के निशान आज भी पत्थरों पर साफ दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, घोड़ों के खुरों के निशान भी उसी रूप में शिला पर मौजूद हैं, जिन्हें भक्त आस्था से पूजते हैं।
भक्तों की आस्था अटूट
गांव के रघुनाथ भालेर का कहना है, “बचपन से हमने इन चमत्कारिक निशानों को जस के तस देखा है। यहां आते ही मन को अद्भुत शांति मिलती है।”
वहीं मंदिर के पुजारी ने बताया कि “देवनारायण भगवान की कृपा से यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। दही और घोड़ों के ये निशान दिव्य चमत्कार से कम नहीं हैं।”
आस्था और इतिहास का संगम
ग्रामीणों के अनुसार छालर घटियाली केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का ऐसा अद्भुत संगम है जहां आज भी सदियों पुराने चिह्न जीवंत हैं। यही कारण है कि आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं और इसे पावन धाम मानकर पूजा-अर्चना करते हैं।
