भीलवाड़ा में कांग्रेस की 'रणभेरी': किसानों के मुआवजे को मुख्य मुद्दा बनाते हुए पांच सूत्री मांगों पर धीरज गुर्जर के नेतृत्व में जन अधिकार आंदोलन 19 को; हजारो लोग जुटेंगे

Update: 2025-09-10 12:51 GMT

भीलवाड़ा, ( विजय गढ़वाल  ) – राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में कांग्रेस पार्टी ने किसानों की दुर्दशा और सरकारी उदासीनता के खिलाफ एक बड़े जन आंदोलन का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व मंत्री धीरज गुर्जर के नेतृत्व में शुरू होने वाला यह 'फसल मुआवजा जन अधिकार आंदोलन' मुख्य रूप से किसानों को अतिवृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा दिलाने पर केंद्रित होगा। लेकिन आंदोलन की जड़ें इससे कहीं गहरी हैं – इसमें पांच सूत्री मांगें शामिल हैं, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की समस्याओं को छूती हैं। इनमें सरपंचों की बहाली, ग्राम पंचायतों के परिसीमन में राजनीतिक हस्तक्षेप, सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतों की मरम्मत, और शहर में सीवरेज की घटिया गुणवत्ता के कारण होने वाले जलभराव जैसी मुद्दे प्रमुख हैं। इसके अलावा, कांग्रेस ने शहर में 'कागजों पर चल रही' सिटी बस सेवाओं के मुद्दे को भी जोरदार तरीके से उठाने की बात कही है, जो वर्षों से कागजो चल रही हैं लेकिन धरातल पर कहीं नजर नहीं आतीं।



 

यह आंदोलन 19 सितंबर को अहिंसा सर्किल से शुरू होगा, जहां कांग्रेस के जिला स्तरीय सम्मेलन के बाद एक जन अधिकार यात्रा निकाली जाएगी और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा। गुर्जर ने कहा कि यह आंदोलन केवल किसानों का नहीं, बल्कि आम जनता की आवाज बनेगा, क्योंकि भजनलाल शर्मा सरकार ने सभी मोर्चों पर विफलता दिखाई है। "सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन किसान बेबस हैं। पिछले साल का मुआवजा भी नहीं मिला, और इस साल की अतिवृष्टि ने फसलों को गला दिया,और किसान आत्महत्या करने की स्थिति में हे " गुर्जर ने सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।

  गुर्जर: आंदोलन के सूत्रधार का राजनीतिक सफर

धीरज गुर्जर, जिनका जन्म 15 अगस्त 1978 को भीलवाड़ा में हुआ, कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख चेहरे हैं। वे ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) के राष्ट्रीय सचिव हैं और उत्तर प्रदेश के सह-प्रभारी भी। गुर्जर का राजनीतिक करियर 2013 में शुरू हुआ जब वे जहाजपुर विधानसभा से विधायक चुने गए। 2018 तक वे राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी बने।

गुर्जर का जन्म भीलवाड़ा के भोपालगंज क्षेत्र में हुआ, जहां वे वीर सावरकर चौक के पास रहते थे । उन्होंने अपनी शिक्षा स्थानीय स्तर पर पूरी की और राजनीति में प्रवेश से पहले सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। 2022 में उन्हें राजस्थान राज्य बीज निगम का चेयरमैन बनाया गया। हालांकि, उनके करियर में कोई बड़ा विवाद नहीं रहा, लेकिन वे हमेशा भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर रहे हैं। इस आंदोलन में उनका नेतृत्व कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत करने का अवसर देगा।

गुर्जर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "भजनलाल सरकार राजनीतिक भेदभाव कर रही है। कांग्रेस से जुड़े सरपंचों को निलंबित किया जा रहा है, और अदालती स्टे के बावजूद उन्हें बहाल नहीं किया जा रहा।" यह बयान राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था की मौजूदा अराजकता को उजागर करता है।

मुख्य मुद्दा: किसानों को फसल मुआवजा – एक अंतहीन संघर्ष


आंदोलन की धुरी है किसानों को अतिवृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा। राजस्थान में 2024 और 2025 की भारी बारिश ने लाखों एकड़ फसलों को बर्बाद कर दिया। भीलवाड़ा जिले में सोयाबीन, मक्का, और कपास जैसी फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। किसान यूनियनों ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखकर मुआवजे की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

ऐतिहासिक रूप से, राजस्थान में किसान आंदोलन फसल क्षति और मुआवजे के इर्द-गिर्द घूमते रहे हैं। 2017 में किसान भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गर्दन तक पानी में खड़े होकर विरोध कर चुके हैं। 2020-21 के राष्ट्रीय किसान आंदोलन में राजस्थान के किसानों ने सक्रिय भूमिका निभाई, जहां एमएसपी और कर्ज माफी की मांगें प्रमुख थीं। इस साल, कांग्रेस विधायकों ने ट्रैक्टर पर विधानसभा पहुंचकर विरोध जताया, दावा किया कि लाखों एकड़ जमीन प्रभावित है लेकिन सरकार सर्वे भी नहीं कर रही।

भीलवाड़ा के एक किसान प्रकाश चपलोत बताते हैं, "पिछले साल की बकाया राशि है, लेकिन इस साल की बारिश ने सब कुछ बहा दिया। सरकार कहती है बजट नहीं है, लेकिन चुनावी वादे पूरे कर रही है।" जिले में करीब 2 लाख किसान प्रभावित हैं, और मुआवजा न मिलने से वे कर्ज के जाल में फंस रहे हैं। इस बारे कहे में डाला मक्का का बीज नकारा साबित हुआ हे मक्के ही नहीं आये

कांग्रेस की मांग है कि पूरे जिले में संपूर्ण फसल खराबे की घोषणा की जाए और पिछले साल का बकाया तुरंत दिया जाए। यह मांग न केवल आर्थिक है बल्कि राजनीतिक भी, क्योंकि भाजपा पर कांग्रेस से जुड़े किसानों के साथ भेदभाव का आरोप है।

दूसरी मांग: सरपंचों की बहाली – अदालती आदेशों की अवहेलना



 कांग्रेस की दूसरी प्रमुख मांग है कि अदालत से स्टे मिलने के बावजूद निलंबित सरपंचों को बहाल किया जाए। राजस्थान में 2024-25 में पंचायत चुनावों में देरी और परिसीमन में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार कांग्रेस से जुड़े सरपंचों को निशाना बना रही है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में पंचायत चुनावों में देरी पर सरकार को फटकार लगाई और चुनाव जल्द कराने के आदेश दिए। लेकिन परिसीमन प्रक्रिया में जनसंख्या और दूरी के नियमों की अनदेखी की जा रही है। भीलवाड़ा में कई ग्राम पंचायतों का गठन राजनीतिक लाभ के लिए किया गया, जिससे स्थानीय असंतोष बढ़ा है।

एक प्रभावित सरपंच ममता ने कहा, "कोर्ट ने स्टे दिया, लेकिन सरकार बहाली नहीं कर रही। यह लोकतंत्र की हत्या है।" यह मुद्दा पंचायती राज की बुनियाद को हिला रहा है, जहां भाजपा पर आरएसएस के इशारे पर परिसीमन करने का आरोप है।उनके पीटीआई तो तेवर दिखते हुए टावर तक पर जा चढ़े ,मगर आश्वासन के आलावा कुछ भी नहीं मिला,

तीसरी मांग: ग्राम पंचायत परिसीमन में निष्पक्षता

परिसीमन में राजनीतिक पूर्वाग्रह न हो, यह कांग्रेस की तीसरी मांग है। 2025 में राजस्थान सरकार ने ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों की सूची अंतिम करने की डेडलाइन जून 4 तय की थी, लेकिन राजनीतिक दबाव में देरी हुई। कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आरोप लगाया कि भाजपा स्थानीय निकाय चुनाव टाल रही है और परिसीमन में हेरफेर कर रही है।

भीलवाड़ा जैसे जिलों में, जहां गुर्जर और जाट समुदाय प्रमुख हैं, परिसीमन से वोट बैंक प्रभावित हो रहा है। जनहित और जन भावनाओं का ध्यान रखने की मांग उठ रही है, लेकिन सरकार पर पार्टी लाभ देने का आरोप है। यह मुद्दा चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है।

चौथी मांग: सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतों की मरम्मत



 



भीलवाड़ा में सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय है। 2025 में एक सर्वे में राजस्थान के 63,000 स्कूलों में 86,934 क्लासरूम पूरी तरह जर्जर पाए गए। जुलाई 2025 में झालावाड़ के एक स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चे मारे गए, जो स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर की बदहाली को उजागर करता है।

भीलवाड़ा में स्कूल जर्जर हैं और पूर्ण पुनर्निर्माण की जरूरत है। सरकार ने जर्जर भवनों के लिए रुपये आवंटित किए, लेकिन फंड फाइनेंस विभाग में अटके हैं। कांग्रेस की मांग है कि बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए सभी स्कूलों की मरम्मत DMFT राशि से की जाए। "बच्चे भविष्य हैं, लेकिन सरकार उनकी जान जोखिम में डाल रही है," ।

पांचवीं मांग: शहर में जलभराव और सीवरेज समस्या का समाधान



 भीलवाड़ा शहर में सीवरेज निर्माण की घटिया गुणवत्ता के कारण बारिश में गलियां और अंडरब्रिज जलमग्न हो जाते हैं। राजस्थान अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (आरयूएसडीपी) के तहत सीवरेज वर्क्स चल रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता पर सवाल हैं। 2025 की मॉनसून में भारी बारिश से पानी निकासी की समस्या उजागर हुई।

कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सीवरेज लाइनें डालने का काम अधर में लटका है, और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का सीवर पानी सड़कों पर बहता है। समाधान के लिए स्थायी ड्रेनेज सिस्टम की मांग है।

अतिरिक्त मुद्दा: कागजों पर चल रही सिटी बस सेवाएं



 



शहर में सिटी बस सेवाएं वर्षों से कागजो तक सीमित हैं। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (आरएसआरटीसी) ने 2025 में 1,300 नई बसें लाने का ऐलान किया, लेकिन भीलवाड़ा में स्थानीय बस सेवा अभी 'पेपर पर' है। जयपुर में 2,000 मिनी बसें चलाने की योजना है, लेकिन भीलवाड़ा जैसे शहरों में बस स्टैंड का मेकओवर हो रहा है बिना बसों के। कांग्रेस ने इसे उठाते हुए कहा कि ट्रैफिक और प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन सरकार बसें नहीं चला रही। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अक्षय  त्रिपाठी बोले बसों का मुद्दा कांग्रस उठएगी

कांग्रेस की महिला अध्यक्ष रेखा  शिकायत करती  हैं कि औटोरिक्शा महंगा हे , सेवा की कमी से  भेड बकरियों की तरह शहर में कॉलोनियां से आना जाना पड़ता हे सिटी बसे चलती तो खर्च भी आधा होता और सुविधा भी मिलती ,

आंदोलन का प्रभाव और   प्रतिक्रिया

यह आंदोलन कांग्रेस को मजबूत कर सकता है, खासकर 2025 के स्थानीय चुनावों से पहले। सरकार ने मुआवजे का आश्वासन दिया है, लेकिन क्रियान्वयन नहीं हुआ। अगर आंदोलन फैला, तो हंगामा बढ़ सकता है।

कांग्रेस पदाधिकारी जैसे अक्षय त्रिपाठी, रेखा, मंजू पोखरना, राजेश चौधरी, गायत्री देवी मौजूद थे, जो आंदोलन की तैयारी दिखाता है।

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