माता के दरबार में उमड़ रही आस्था, मिट रहे दुख-दर्द– घोड़ा का खेड़ा बना चमत्कारों का धाम

Update: 2025-09-17 07:04 GMT

भीलवाड़ा (व‍िजय गढवाल)। भीलवाड़ा ज‍िले के आमलीगढ पंचायत के घोड़ा का खेड़ा में सगस जी व जोगण‍ियां माताजी का स्‍थान है जो आमलीगढ़ से रतनपुरा रोड पर है। जहां भक्तों ने बताया क‍ि रव‍िवार को सैंकड़ों की संख्‍या में हर तरह से हारा हुआ दुखदर्दी यहां आता है जो खुश होकर लौटता है। यहां सगस जी मंद‍िर पर‍िसर में महादेवजी का स्‍थान भी है जहां उज्‍जैन के ऋण मुक्तेश्वर की तरह दाल के लुड्डुओं का भोग चढता है। यहां माताजी का स्‍थान भी है। इसके साथ ही धुणी का स्‍थान है। जो पुराने हाथी वाले महंत होते थे उनकी धुणी भी है।

भक्तों ने बताया क‍ि इस स्‍थान पर खासकर भूतप्रेत, कैंसर, तांत्र‍िक बीमार‍ियों के साथ ही हर तरह की दुख तकलीफ से पीड़‍ित लोगों का निवारण होता है। यहां ऐसे ऐसे भी बीमार आते है ज‍िन्‍हें तीन चार आदमी उठाकर लाते है लेकिन यहां आने के बाद वे स्‍वयं चलकर जाते है।

यह एक ऐसा पावन धाम है, जो आज हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है। कहते हैं, यहां हर रविवार को भक्तों की झोली खुशियों से भर जाती है। कोई अपने दुख-दर्द से मुक्ति पाता है, तो कोई लंबे समय से लटकी परेशानियों से छुटकारा। यहां तक कि भूत-प्रेत, टोना-टोटका और मानसिक तनाव जैसी उलझनों से जूझ रहे लोग भी राहत लेकर लौटते हैं। यही वजह है कि इस स्थान को लोग चमत्कारी धाम कहने लगे हैं।

जंगल के बीच बसा दिव्य धाम

भीलवाड़ा शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर घोड़ा का खेड़ा के पास घने जंगलों के बीच माता जी का यह स्थान स्थित है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां आने वाले भक्तों से न तो पुजारी चढ़ावे की मांग करते हैं और न ही किसी तरह की अनिवार्य भेंट। मां के दरबार में केवल आस्था चाहिए। भक्तों का विश्वास है कि माता और ओगड़ बाबा के आशीर्वाद से हर समस्या का हल संभव है।

मंदिर के पुजारी महेंद्र सिंह गौड खुद एक फैक्ट्री में कार्यरत हैं, लेकिन रविवार को पूरी तरह भक्तों की सेवा में समर्पित रहते हैं। उनका कहना है – “माता दुखियों का दर्द हर लेती है, ओगड़ बाबा की धूनी में हर समस्या का हल छिपा है। यहां भूत-प्रेत तक अपना डेरा छोड़कर भाग जाते हैं। कैंसर जैसे रोगों से पीड़ित लोगों को भी राहत मिली है। घरों में शांति आती है और विवाद मिट जाते हैं।”

भूत-प्रेत और टोने-टोटकों से मुक्ति

मंदिर में एक अनोखी परंपरा भी है। जो लोग भूत-प्रेत या टोने-टोटकों से परेशान रहते हैं, वे घर से "आका" यानी मुट्ठी भर अनाज लेकर आते हैं। उसी से राह निकलती है। मान्यता है कि माता जी के दरबार में बुरी शक्तियों का असर खत्म हो जाता है।

श्री सगस बावजी जोगणिया माता मंदिर समिति के दिलीपसिंह बडवा, जो मंदिर की सेवा में सक्रिय हैं, बताते हैं – “यहां कई ऐसे उदाहरण हैं जब परिवार वर्षों तक परेशान रहा, लेकिन माता के दरबार में आते ही सब समस्या खत्म हो गई। कैंसर जैसे रोगियों को भी यहां से आराम मिला है।” उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि किसी ने उनके ऊपर जादू-टोना कर दिया था। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। परिवारजन माता जी के पास आए तो संकेत मिला कि असली परेशानी वह खुद हैं। जब वे मंदिर पहुंचे, तो धीरे-धीरे सब कष्ट दूर हो गए।

भक्तों के अनुभव – दुख दूर, कारोबार चालू

भीलवाड़ा के आजाद नगर निवासी राजेश बम, जो ट्रांसपोर्ट मार्केट में काम करते हैं, बताते हैं कि वे आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रहे थे। कई देवी-देवताओं के मंदिरों के चक्कर लगाए, अस्पतालों में दौड़े लेकिन कहीं भी राहत नहीं मिली। उनका कहना है – “मैंने बहुत पैसा गंवाया, लेकिन समाधान कहीं नहीं मिला। जब मैं माता के दरबार पहुंचा, तो धीरे-धीरे कारोबार फिर से चल पड़ा। आज मैं हर रविवार को यहां आता हूं और दूसरों की सेवा में भी जुट जाता हूं। माता ने न सिर्फ मेरा कारोबार बचाया, बल्कि मन को भी शांति दी।”

कोटड़ी क्षेत्र के विष्णु शर्मा का अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा। वह लंबे समय से परेशानी झेल रहे थे। यहां आने के बाद उन्हें जीवन में नई रोशनी मिली। उनका कहना है कि यह धाम सचमुच भक्तों के लिए संकटमोचन स्थल है।

ओगड़ बाबा की धूनी का चमत्कार

माता जी के साथ यहां ओगड़ बाबा की धूनी भी है, जो भक्तों के बीच आस्था का बड़ा केंद्र है। कहते हैं, यहां बैठकर साधना करने से मानसिक शांति मिलती है और भटकाव दूर होता है। कई श्रद्धालुओं का मानना है कि माता और ओगड़ बाबा मिलकर हर पीड़ा का अंत कर देते हैं।

पुजारी महेंद्र सिंह गौड़ बताते हैं कि यहां कोई दिखावा नहीं है। न बड़े आयोजन, न भव्य सजावट। केवल भक्ति और विश्वास। यही इस स्थान की असली ताकत है।

रविवार को लगता है दरबार

हर रविवार शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक यहां भक्तों का तांता लगता है। दूर-दराज़ से दुखियारे लोग यहां आते हैं और माता के दरबार में अपनी व्यथा सुनाते हैं। कहते हैं, मां किसी को खाली हाथ नहीं लौटाती। भीलवाड़ा ही नहीं, आस-पास के जिलों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। धीरे-धीरे यह स्थान बड़ी आस्था का केंद्र बन चुका है।

आस्था से भरा वातावरण

मंदिर परिसर में जब आरती होती है तो पूरा माहौल भक्ति में डूब जाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप और जयकारों से जंगल गूंज उठता है। भक्तों के चेहरे पर संतोष और शांति झलकती है। कोई अपने परिवार की खुशी की दुआ मांगता है, कोई बीमारी से मुक्ति की, तो कोई जीवन में सफलता की।

यही वजह है कि घोड़ा का खेड़ा का यह धाम सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आस्था का जीवंत प्रतीक बन चुका है।

क्यों खास है यह धाम?

1. चमत्कारिक अनुभव – यहां आने वाले अधिकांश भक्त बताते हैं कि उन्हें किसी न किसी रूप में लाभ मिला है।

2. बिना चढ़ावे का नियम – पुजारी या मंदिर समिति की ओर से किसी भी प्रकार का चढ़ावा या दान अनिवार्य नहीं। भक्त अपनी श्रद्धा से अर्पित करते हैं।

3. भूत-प्रेत और रोगों से मुक्ति – मान्यता है कि यहां आने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं और गंभीर बीमारियों में भी आराम मिलता है।

4. ओगड़ बाबा की धूनी – मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र।

भीलवाड़ा जिले के मंगरोप क्षेत्र का यह घोड़ा का खेड़ा मंदिर आज आस्था का अद्भुत केंद्र बन चुका है। जंगलों के बीच बसा यह धाम भक्तों की पीड़ा हर रहा है, झोलियां खुशियों से भर रहा है। न कोई दिखावा, न दिखावटी आडंबर—सिर्फ सच्ची भक्ति और विश्वास। यही वजह है कि यहां हर रविवार को सैकड़ों की तादाद में भक्त पहुंचते हैं और अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाते हैं। यहां माता जी के साथ ही सगस और ऋण मुक्तेश्वर का भी चमत्कारी स्थान है।

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