किसानों की रुचि बढ़ रही है धान की सीधी बोआई के प्रति

Update: 2025-11-04 05:20 GMT

धान की सीधी बोआई के प्रति किसानों की रुचि बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस विधि में तकनीक का सही उपयोग करने से उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी संभव है।

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि धान की सीधी बोआई करते समय मिट्टी की नमी, बीज की गहराई और खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान देना चाहिए। बीज की बोआई ढाई से तीन सेंटीमीटर की गहराई पर की जानी चाहिए। इसके लिए मशीन को इस प्रकार सेट करें कि बीज अधिक गहराई पर न जाए। प्रति एकड़ आठ से नौ किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त मानी गई है।

उन्होंने कहा कि खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। कई बार किसान सूखी मिट्टी में बोआई कर देते हैं, जिससे बीज का अंकुरण सही नहीं हो पाता या झारन धान अधिक उग आते हैं। इसलिए बोआई से पहले खेत में पानी लगाकर झारन को जमने दें, उसके बाद सुपर सीडर, हैप्पी सीडर या जीरो टिल मशीन से धान की बुवाई करें।

अंकुरण के बाद यदि बारिश नहीं हो रही हो तो सिंचाई अवश्य करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बोआई के 20 से 25 दिन के भीतर बिस्पायरीबैक सोडियम 10 ईसी की 80 से 100 ग्राम तथा पाइराइजोसुलफुरान इथाइल 10 डब्ल्यूपी की 60 से 80 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि किसान लेव लगाकर ड्रम सीडर या छिटकाव विधि से भी बोआई कर सकते हैं। इस स्थिति में लेव लगाते समय पाइराइजोसुलफुरान इथाइल 10 डब्ल्यूपी की 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाने से खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

इस पद्धति से न केवल लागत घटती है बल्कि जल की बचत और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

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