धर्म को बचाना है तो बच्चों को बचपन से जिनशासन से जोड़ संस्कारवान बनाए- कुमुदलता म.सा.
भीलवाड़ा,। अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी डॉ. कुमुदलताजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में दिवाकर कमला दरबार में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के अष्ट दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन का समापन बुधवार को संवत्सरी महापर्व की आराधना से होगा। अंतिम दिन सुबह 8.15 बजे से क्षमा मैत्री ओर आत्मशुद्धि का उत्सव सवंत्सरी पर्व मनाया जाएगा। सातवें दिन मंगलवार को भी अरिहन्त भवन में जिनवाणी श्रवण करने के लिए श्रावक-श्राविकाएं उमड़े। इस दौरान ‘‘ आत्मा की दिव्यता-तप,जीवन की भव्यता संस्कार ’’ विषय पर धर्म संदेश प्रदान किया ओर पूज्य प्रवर्तक पन्नालालजी म.सा. की 138वीं जयंति पर गुणानुवाद करने के साथ भिक्षु दया का आयोजन भी किया गया। धर्मसभा में साध्वी कुमुदलताजी म.सा. ने पर्युषण हमारे विचारों को बदल मन को स्वच्छ बनाने के लिए आए है। बचपन खाली पेज होता है उस पर हमे जो चाहे उकेर सकते है। जवानी में जो चित्र बनता वह वृद्धावस्था में नहीं मिटता है। ऐसे में हमे बच्चों को बालपन से सुसंस्कार देने होंगे ओर उन्हें अपने धर्म व राष्ट्र सेवा में समर्पित रहे महापुरूषों के जीवन से अवगत कराना होगा। बच्चों को एवन्ता मुनि की तरह संस्कारवान बनाना चाहते है तो उन्हें बचपन में ही धर्मस्थान पर लाना होगा। वर्तमान हालात में लगता भविष्य में स्थानकवासी साधु संत भी दीपक लेकर ढूंढने पड़ेंगे। चातुर्मास कराने के लिए संत साध्वी नहीं मिलेंगे। बच्चों को जिनशासन से जोड़ संस्कारवान ओर संयमित जीवन सिखाए बने धर्म आगे नहीं बढ़ने वाला है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे बचपन में संयम स्वीकार कर लेते उनका जीवन संवर जाता है ओर ज्ञानवान होकर पन्ना गुरू की तरह उनका नाम इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित हो जाता है। जिस घर में बच्चे मुनि को लेकर आते है वह परिवार सौभाग्यशाली होता है। साध्वी कुमुदलताजी म.सा. ने पन्ना गुरूवर के गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने संयम जीवन की साधना करते हुए स्वयं को जिनशासन के लिए समर्पित कर दिया। उनकी साधना की महक हिन्दुस्तान के कोने-कोने तक पहुंची। उनकी प्रेरणा से ही गुलाबपुरा में स्थानकवासी समाज में पहली बार स्वाध्याय संघ की स्थापना हुई। उन्होंने तीन बातों सामायिक,दया व पौषध की प्रेरणा खूब दी ओर संवत्सरी पर सभी को पौषध आराधना अवश्य करनी चाहिए। पौषध करने से भी तीर्थंकर गौत्र का उपार्जन हो सकता है। गुरू पन्ना के हजारों गुणों में से एक गुण भी हमारे जीवन में आ जाए तो वह धन्य बन सकता है। स्वर साम्राज्ञी साध्वी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने प्रवचन में अतंगडदशा सूत्र के छठे एवं सातवे वर्ग के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन किया। उन्होंने पन्ना गुरूवर की स्मृति में भजन ‘‘ गुरू में संसार समाया उनका ही आशीष पाया’’ की प्रस्तुति भी दी। धर्मसभा में वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने भी अधिकाधिक तप त्याग एवं धर्मसाधना करने की प्रेरणा प्रदान की। साध्वी राजकीर्तिजी म.सा. का म.सा. ने भजन प्रस्तुत करने के साथ दोपहर में कल्पसूत्र का वाचन भी किया। पन्ना गुरू की जयंति पर उनके प्रति आस्थावान कई श्रावकों ने भिक्षु दया तप करके गुरू भक्ति की मिसाल पेश की। ऐसे श्रावकों ने सामायिक साधना करते हुए श्रमण (संत) जीवन जीया। महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. ने भिक्षु दया करने वाले श्रावकों के प्रति मंगलभाव व्यक्त करते हुए कहा कि यह साधु जीवन की परम्परा का अनुभव करने का अवसर है। भिक्षु दया करने वाले महासाध्वी मण्डल के साथ ही अरिहन्त भवन से सुभाषनगर स्थानक तक पहुंचे। यहां से वह अलग-अलग समूह में संत वेश में नंगे पैर आहार लेने के लिए घर-घर पहुंचे ओर जो मिला उसे लाकर समूह रूप में उसे ग्रहण किया। इस दौरान पूरा दिन संत जीवन की क्रियाओं की पालना करते हुए धर्म आराधना में बिताया। आहार लाते समय संत वेश में बच्चों व युवाओं को घरों के बाहर घूमते देख आसपास के लोग आश्चर्य में पड़ गए जब मालूम चला कि ये भिक्षु दया व्रत है तो उन्होंने श्रद्धा से मस्तक झुका दिया। इससे पूर्व धर्मसभा में शकुन्तला खमेसरा,विक्रम डूंगरवाल, किरण सेठी,पुखराज रांका, गौरव सुराणा, शांतिलाल खमेसरा ने विचारों व भजनों के माध्यम से पन्ना गुरूवर व पर्युषण आराधना के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की। पर्युषण महापर्व में महासाध्वी मण्डल की प्रेरणा से तपस्याओं का ठाठ लगा हुआ है। पर्युषण के सातवें दिन मुंबई निवासी मोनिका सिसोदिया ने 26 उपवास के प्रत्याख्यान लिए तो अनुमोदना के जयकारे गूंजे। युवा सुश्रावक मनीष सेठी ने आठ उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने सात,चार,तेला,बेला व उपवास के प्रत्याख्यान भी लिए। अतिथियों का स्वागत चातुर्मास समिति के अध्यक्ष दौलतमल भड़कत्या, उपाध्यक्ष सुनील नाहर,सचिव राजेन्द्र सुराणा आदि ने किया। पर्युषण सम्पन्न होने पर 28 अगस्त को सुबह सुभाषनगर स्थानक में सामूहिक पारणे के बाद सुबह 9 बजे से क्षमायाचना दिवस मनाया जाएगा ओर गुरूवार की अनुष्ठान आराधना के तहत तीर्थंकर चन्द्रप्रभु स्वामी की आराधना की जाएगी।