सर्वपितृ अमावस्या का महत्व: पितरों को मोक्ष का मार्ग दिखाने वाला दिन – स्वामी अच्युतानंद

Update: 2025-09-21 11:44 GMT

भीलवाड़ा  । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से रविवार को श्राद्ध पक्ष की पितृ मोक्ष अमावस्या के मौके पर एक धर्म सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में पितृ परिव्राजकाचार्य स्वामी अच्युतानन्द ने इस विशेष अमावस्या का महत्व विस्तार से समझाया। स्वामी अच्युतानन्द ने कहा कि श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह पितरों को मोक्ष प्रदान करने का अंतिम दिन माना जाता है। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती, वे इस दिन उनका श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं। यह दिन उन सभी पितरों को समर्पित है, जो किसी कारणवश अपने हिस्से का श्राद्ध प्राप्त नहीं कर पाते। स्वामी ने बताया कि इस दिन दान-पुण्य और तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान सीधे हमारे पूर्वजों तक पहुंचता है। इससे उन्हें शांति मिलती है और वे मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और गरीबों को दान देने का भी विधान है। स्वामी अच्युतानन्द ने सभी से अपने जीवन में पितरों का आशीर्वाद बनाए रखने और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया। प्रवक्ता गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि नवरात्र में 'नवाहन पारायण पाठ' का आयोजन 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होगा। अनुष्ठान में प्रतिदिन सुबह 7 बजे से रामचरितमानस का पावन पाठ शुरू होगा। व्यासपीठ पर विराजमान होकर पंडित घनश्याम द्वारा पाठ का वाचन किया जाएगा। 

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