18 घण्टे भक्तों के कंधे पर सवारी कर कोटड़ी श्याम पहुंचे निजधाम

Update: 2024-09-15 15:24 GMT

कोटड़ी (राजेन्द्र बबलू पोखरना) मेवाड़ का एतिहासिक धार्मिक तीर्थ धाम भगवान श्रीचारभुजानाथ का 11 दिवसीय मैला रविवार को 18 घण्टे भक्तों के कंधों पर सवारी कर सुबह 9.15 बजे निजधाम पर पंहुच अपनी गद्दी पर विराजमान होने के साथ ही मेला धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ। कोटड़ी श्याम शनिवार को दोपहर 3 बजे जलझूलन को निकले शाम 7 बजे धर्माऊ तालाब के घाट पर डुबकी लगाने के बाद रातभर भक्तों के कंधो पर सवार हो सुबह बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति के बीच निजधाम पंहुचे। भगवान के कस्बे में भ्रमण के दौरान श्रद्धालुओं ने आरती उतार कर प्रसाद चढ़ाते हुए लाड लडाया। जैसे ही भगवान श्रीचारभुजानाथ ने सिंहासन संभाल श्रृंगार के बाद पर्दा हटा तो भक्तों ने खुशी मनाते हुए श्रीचारभुजानाथ के जयकारों से सारा मन्दिर परिसर गूंजा दिया।

प्रभू की आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। वहीं बेण्ड व ढ़ोल की थाप पर श्रद्धालू थिरकते रहे। रातभर कस्बे सहित दूर दराज से उपस्थित भक्तों ने बारी-बारी से रजत रेवाड़ी में विराजित भगवान के कंधा लगा कर आनन्द उठाया। वहीं आसपास के गांवों से पंहुचे लोगों ने बाजार में आवश्यक सामग्री खरीददारी की। मेले के बाद प्रभू के निजधाम सकुशल विराजमान होने के साथ ही चारभुजा मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुदर्शन गाड़ोदिया ने शान्तिपूर्ण मैला आयोजन करने का आभार जताते हुए अधिकारियों व कार्यकर्ताओं का अभिनन्दन किया तथा प्रशासन ने भी चेन की सांस ली।

मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुदर्शन गाड़ोदिया, सचिव श्याम सुन्दर चेचाणी, कोषाध्यक्ष जमनालाल सुथार, चम्पालाल तेली सहित सभी ट्रस्टी व अनेक संगठनों के पदाधिकारियों व मेला व्यवस्थापकों के अलावा उपखण्ड अधिकारी श्रीकान्त व्यास, पुलिस उपाधीक्षक प्रमोद कुमार शर्मा, थाना प्रभारी सुरेन्द्र सिंह राठौड़, तहसीलदार रविशेखर चौधरी ने भी आपस में बधाई दी। मेला समाप्त होने के साथ ही श्रद्धालुओं के रवाना होते दिखाई दिए।

18 घण्टे तक गद्दी संभाल रहे प्रभू के पंहुचते ही सीट छोड़ी

भगवान श्रीचारभुजानाथ के शनिवार को दोपहर 3 बजे जलझूलन के लिए रजत रेवाड़ी में विराजमान होने के लिए जैसे ही अपनी गद्दी छोड़ी तो छोटे ठाकुरजी ने 18 घण्टे तक भगवान की सीट संभाली जिसके रातभर दर्शन करने के लिए श्रद्धालु मन्दिर पंहुचे। वहीं रजत बेवाण में विराजित भगवान श्रीचारभुजानाथ की निज मूर्ति के विराजमान होने से प्रभू के दर्शन किए। मंदिर की सीट संभालने के दौरान भी श्रद्धालुओं ने निज मूर्ति के समान श्रृंगार से आश्चर्य चकित हो गए। साथ ही रविवार सवेरे 9.15 बजे जैसे ही भगवान निज मन्दिर में प्रवेश किया तो उनके लिए छोटे भगवान ने फिर गद्दी को छोड़ दी। 18 घण्टे तक भगवान कस्बे के गली मोहल्ले में पंहुच कर भक्तों को दर्शन दे रहे थे वहीं मन्दिर की सीट पर विराजित छोटे चारभुजानाथ के मन्दिर में पंहुचने वाले भक्तों को दर्शन दिए। पुजारी सत्यनारायण पाराशर ने बताया कि श्रीचारभुजानाथ की प्रतिमा सवा दो फिट की है तथा छोटे भगवान सवा फिट के होने से बड़े-छोटे चारभुजानाथ मानते है। पाने समय में गढ़ के अन्दर राजा-महाराजा के समय में प्राचीन मन्दिर होने के कारण श्रीचारभुजानाथ को ठाकुरजी व गढ़ माइला श्याम भी कहते है।

भक्तों ने दर पर पंहुचे प्रभू की आरती की, लगाया भोग

जलझूलन को निकले भगवान श्री चारभुजानाथ की निज मूर्ति रजत बेवाध में विराजमान होने के कारण प्रभू के प्रति लोगों की आस्था बढ़ जाती है। जलझूलन के बाद प्रभू के रातभर नगर भ्रमण के दौरान मात्र 1 किमी का सफर धर्माऊ तालाब मंक पंहुचने में 4 घण्टे लगते है जबकि वपस निज धाम तक पंहुचने में 14 घण्टे लग जाते है। रात भर भजनों पर भक्त धूमधाम से नाचते-गाते हुए चलते है। वहीं रास्ते में आने वाले सभी मकानों व दूकान के बाहर प्रभू के आने पर श्रद्धा से परिवार सहित आरती करते है तथा अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का प्रसाद चढ़ा कर भक्तों को वितरित करते है। वहीं श्रद्धालुओं ने रसगुल्ला, मखाना, बरफी, कतली, काजू, दाख, बादाम, अंजीर, खीर, पान सहित अनेक प्रकार के व्यंजनों का प्रसाद चढ़ा कर भक्तों को वितरित किया।

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