धामनिया । जिले में बैरवा समाज ने अपनी ऐतिहासिक पहचान और गौरव को याद करते हुए आज धामनिया में बैरवा दिवस का आयोजन किया। यह दिन समाज के लिए केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उनकी संगठित पहचान, आत्मसम्मान और ऐतिहासिक चेतना का प्रतीक है। 31 दिसंबर 1924 को समाज को “बैरवा” नाम की औपचारिक स्वीकृति मिली थी। इसी ऐतिहासिक घटना की स्मृति में आज का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बहुजन समाज पार्टी के जौन प्रभारी एवं सांसद प्रत्याशी रामेश्वर लाल बेरवा रहे। उन्होंने समाज के सदस्यों को शिक्षा पर विशेष ध्यान देने और संगठित होकर सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष में सक्रिय भागीदारी करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक सदस्य को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी पहचान, इतिहास और संस्कृति से परिचित हो।
बैरवा समाज के युग प्रवर्तक और समाज सुधारकों के विचारों को अपनाने का संदेश भी कार्यक्रम में दिया गया। उन्होंने कहा कि समाज को संगठित, जागरूक और सशक्त बनाने के लिए शिक्षा, सामाजिक सेवा और आपसी सहयोग आवश्यक है। इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया गया कि बैरवा दिवस का वास्तविक उद्देश्य समाज में एकता बनाए रखना, अपनी ऐतिहासिक पहचान को समझना और आने वाली पीढ़ी को सत्य इतिहास से परिचित कराना है।
कार्यक्रम में मांडलगढ़ के दुर्गा लाल बेरवा, अभय सिंह, एडवोकेट कन्हैयालाल, जगदीश चंद्र बैरवा, मुकेश कुमार बेरवा, चांदमल, रामकिशन बेरवा, गोपाल बैरवाट, हरफूल बैरवा सहित सैकड़ों समाजसेवी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम में समाज के इतिहास, गौरव और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इसके साथ ही समाज के युवाओं और बच्चों को संगठित होकर अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान समाज की ऐतिहासिक उपलब्धियों और युग प्रवर्तकों की भूमिका को याद करते हुए यह संदेश दिया गया कि समाज का विकास और उन्नति केवल संगठित प्रयासों और शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। बैरवा समाज ने इस अवसर पर आपसी सहयोग और सामाजिक चेतना को आगे बढ़ाने का संकल्प भी लिया।
इस तरह धामनिया में बैरवा दिवस का आयोजन न केवल समाज के गौरव और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करने वाला रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ी को शिक्षा, जागरूकता और संगठित संघर्ष की दिशा में प्रेरित करने वाला भी साबित हुआ।
