विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान पर पथिक नगर सेवा केंद्र में मंथन

Update: 2025-12-21 15:18 GMT



भीलवाड़ा। ब्रह्मा कुमारीज के पथिक नगर सेवा केंद्र पर विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर विश्व एकता एवं विश्वास हेतु ध्यान की थीम पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न आध्यात्मिक और ध्यान संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी ध्यान पद्धतियों पर विचार साझा किए और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति तथा आत्म विकास पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में ब्रह्मा कुमारीज संस्था से ब्रह्माकुमारी इंदिरा दीदी, अखिल विश्व गायत्री परिवार से डॉक्टर आर एस श्रोत्रिय, ओशो कम्यून से कमलेश जी डाड, विपश्यना परंपरा से हेमराज जी, हार्टफुलनेस संस्था से डॉक्टर अन्नू कपूर एवं विष्णु जी तथा जैन धर्म के प्रतिनिधि अरिहंत सिसोदिया ने सहभागिता की।

ब्रह्माकुमारी इंदिरा दीदी ने कहा कि राजयोग ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति अपने मन के विचारों को नियंत्रित कर सकता है। मन को एक बिंदु पर केंद्रित करने से चंचलता समाप्त होती है और व्यक्ति बाहरी दुनिया से हटकर अपने भीतर झांककर आत्म विश्लेषण कर पाता है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि डॉक्टर आर एस श्रोत्रिय ने बताया कि ध्यान के माध्यम से स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर तीनों का विकास होता है। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र के एक उच्चारण से दस लाख वाइब्रेशन उत्पन्न होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

ओशो कम्यून के कमलेश जी डाड ने कहा कि ध्यान का अर्थ वर्तमान में जीना है। ध्यान से गहन फल की प्राप्ति होती है और शरीर व आत्मा के बीच स्थित मन को समझने की प्रक्रिया ही ध्यान है।

हार्टफुलनेस संस्था की ओर से डॉक्टर अन्नू कपूर ने कहा कि ध्यान विवेक को उच्चतम स्थिति तक ले जाने का माध्यम है। उन्होंने प्राणायाम, रिलैक्सेशन, शुद्धिकरण और प्रार्थना की प्रक्रिया की जानकारी दी।

जैन धर्म के प्रतिनिधि अरिहंत सिसोदिया ने कहा कि ध्यान के माध्यम से साधक साकार से हटकर निराकार आत्मा से संबंध जोड़ता है। विपश्यना ध्यान पद्धति के प्रतिनिधि हेमराज ने बताया कि इस विधि में साधक आने जाने वाली सांसों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे कर्मों में श्रेष्ठता आती है।

कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी डॉक्टर मीनाक्षी बहन ने राजयोग कमेंट्री के माध्यम से सभी साधकों को गहन शांति की अनुभूति कराई। कार्यक्रम का शुभारंभ परमात्मा स्मृति के साथ दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रश्मि पारीक ने किया जबकि आभार प्रदर्शन अमोलक भाई ने किया। आयोजन में विभिन्न संस्थाओं से जुड़े डेढ़ सौ से अधिक ध्यान साधक उपस्थित रहे।

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