भीलवाड़ा के कल्किपुरा में आवारा श्वानों का आतंक, बच्चों में दहशत का माहौल
भीलवाड़ा (सम्पत माली)। शहर के नेहरू रोड के पास स्थित कल्किपुरा मोहल्ले में इन दिनों आवारा श्वानों का आतंक बढ़ता जा रहा है। स्थानीय निवासी इन श्वानों से बेहद परेशान हैं। खासकर छोटे बच्चों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक बनती जा रही है। बच्चे अब मोहल्ले में अकेले बाहर निकलने से डरने लगे हैं। परिजनों को हर वक्त बच्चों के साथ रहना पड़ रहा है ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।
मोहल्लेवासियों का कहना है कि यदि कोई बच्चा गलती से अकेले बाहर निकल जाता है तो ये आवारा श्वान उसे देखकर दौड़ पड़ते हैं और काटने की कोशिश करते हैं। ऐसी घटनाएं अब आम हो चुकी हैं जिससे लोगों में डर और आक्रोश दोनों बढ़ रहा है। कई बार लोग इन श्वानों से खुद को या अपने बच्चों को बचाते-बचाते घायल हो चुके हैं।
स्थानीय निवासियों ने नगर निगम को इस बारे में कई बार शिकायत की है। नगर निगम की टीम कुछ दिनों पहले इन श्वानों को पकड़कर ले भी गई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में वही श्वान या फिर अन्य आवारा श्वान दोबारा लौट आए। अब वे पहले से भी अधिक संख्या में नजर आ रहे हैं और विशेष रूप से रात के समय गलियों में उनका आतंक बढ़ जाता है। रात को राह चलते लोगों को भी ये श्वान दौड़ा लेते हैं जिससे कई लोग चोटिल हो चुके हैं।
मोहल्लेवासियों ने बताया कि ये श्वान न केवल डर फैलाते हैं बल्कि कई बार यह एक-दूसरे से लड़ते हुए इतनी जोर-जोर से भौंकते हैं कि रात को लोगों की नींद भी खराब हो जाती है। कई बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए यह मानसिक तनाव का कारण बन गया है। कुछ श्वानों को अब लोगों ने पहचानना शुरू कर दिया है क्योंकि वे हर रोज उसी जगह पर आकर डेरा जमा लेते हैं।
स्थानीय नागरिकों की मांग है कि नगर निगम इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले। केवल पकड़ने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इनके पुनर्वास या नसबंदी जैसे ठोस कदम उठाने होंगे। लोगों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए वे अब मजबूरी में उन्हें घर के बाहर खेलने नहीं भेज रहे हैं, जिससे बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ रहा है।
नगर निगम के अधिकारी इस समस्या को गंभीरता से लें और नियमित रूप से श्वानों की निगरानी के लिए टीम तैनात करें। साथ ही मोहल्ले में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएं ताकि लोग भी संयम और सुरक्षा के साथ इन समस्याओं से निपट सकें। भीलवाड़ा जैसे विकसित होते शहर में इस तरह की समस्याओं का लगातार बने रहना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
