टेक्सटाइल निर्यात 2030 तक नौ लाख करोड़ रु. तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा मोदी ने

By :  vijay
Update: 2025-02-16 16:58 GMT

नयी दिल्ली, प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की प्रगति में टेक्सटाइल उद्याेग की भूमिका के महत्व को रेखांकित करते हुए रविवार को इस उद्योग के सामने टेक्सटाइल निर्यात 2030 तक तीन गुना करके नौ लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा और उम्मीद जतायी की यह लक्ष्य उससे पहले हासिल कर लिया जाएगा।

श्री मोदी राजधानी के भारत मंडपम में कपड़ा क्षेत्र की विशाल प्रदर्शनी ‘भारत टेक्सट 2025’ का भ्रमण करने के बाद वहां उपस्थित भागीदारों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा,“भारत अतीत में जब समृद्ध था तो उसमें देश के वस्त्र उद्योग का बड़ा योगदान था, आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है तो उसमें भी हमारे टेक्सटाइल उद्योग की भूमिका महत्वपूर्ण है।”श्री मोदी ने कहा,“हम दुनिया के छठे सबसे बड़े टेक्सटाइल और एपैरल एक्सपोर्टर हैं। हमारा टेक्सटाइल निर्यात तीन लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। अब हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक हम इसे नौ लाख करोड़ रुपये तक लेकर जाएंगे।” उन्होंने कहा कि आज उद्यमियों के उत्साह से यह जान पड़ता है कि ‘आप यह लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लेंगे।”

उन्होंने कहा कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में टेक्सटाइल उद्योग का योगदान इस समय 11 प्रतिशत है तथा सरकार के प्रयासों के परिणाम स्वरूप इस क्षेत्र में पिछले 10 वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दो गुना हुआ है। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र से कपड़ा उद्योग की कर्ज की मांग को पूरा करने के लिए भी कहा।प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार के बजट में देश में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और सूक्ष्म लघु और मझोले उद्यमों की परिभाषा बदलने कपड़ा क्षेत्र को भी फायदा होगा जो रोजगार का एक बड़ा स्रोत है।

श्री मोदी ने देश में सूती कपड़ा उद्योग के प्रोत्साहन के लिए बजट में कपास मिशन और सरकार की 5एफ (खेत से लेकर विदेशी बाजार तक की मूल्य श्रृंखाला को प्रोत्साहित करने की) पहल का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा,“ पिछले साल मैंने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में फार्म,फाइबर, फैब्रिक, फैशन और फॉरेन जैसे 5एफ फैक्टर्स की बात की थी.. यह विजन अब भारत के लिए एक मिशन बनता जा रहा है।”

उन्होंने टेक्सटाइल क्षेत्र को कचरा कम से कम सृजित करने , पुनर्चक्रण और फैशन में बदलवा के कारण दुनिया भर में हर महीने फेंके जाने वाले कपड़ों का प्रयोग कर नयी-नयी चीजें बनाने के अवस

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