जिस दिन जगदीश से सम्बन्ध बन जाएगा उस दिन असली पहचान बन जाएगी-राजन महाराज

By :  vijay
Update: 2024-09-28 15:05 GMT

भीलवाड़ा, । पूरे जगत से सम्बन्ध बन गया पर उसका कोई अर्थ नहीं है। जिस दिन जगदीश से सम्बन्ध बन जाएगा उस दिन असली पहचान बन जाएगी। हम भगवान के काम पर ध्यान देते है पर हमे जो करना है उस पर ध्यान नहीं देते। जिस दिन हमारी चाह समाप्त हो जाएगी उस दिन प्रेम शुरू हो जाएगा। वर्तमान अर्थ प्रधान युग में बिना अर्थ परमार्थ नहीं हो सकता पर अर्थ इतना ही हो कि अनर्थ नहीं हो जाए। अर्थ सीमा से ज्यादा होने पर मति भ्रष्ट कर सकता है। हम जिस भगवत कथा श्रवण का आनंद प्राप्त कर रहे वह देवताओं को भी प्राप्त नहीं होता है। ये विचार ख्यातनाम कथावाचक पूज्य राजन महाराज ने श्रीसंकट मोचन हनुमान मंदिर ट्रस्ट एवं श्री रामकथा सेवा समिति भीलवाड़ा के तत्वावधान में नगर निगम के चित्रकूटधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा महोत्सव के आठवें दिन कथावाचन के दौरान व्यक्त किए। संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरीजी महाराज के सानिध्य में आयोजित कथा में आठवें दिन राम-भरत मिलाप, भरत-निषादराज संवाद आदि प्रसंगों का भावपूर्ण वाचन किया गया। रामकथा श्रवण करने के लिए भक्तगण इस तरह उमड़े रहे है कि विशाल डोम के अतिरिक्त भी बैठने की व्यवस्था करने पर भी स्थान मिलना कठिन हो रहा है। भावों से ओतप्रोत भक्तगण जहां जगह मिल रही वहीं बैठ भक्तिभाव से कथाश्रवण कर रहे है। विश्राम दिवस रविवार को चित्रकूटधाम में श्रीराम कथा सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक होंगी। अंतिम दिन राम के राज्याभिषेक प्रसंग का वाचन होगा। व्यास पीठ पर विराजित राजन महाराज ने कहा कि पद पाना है तो भगवान के भक्त का पद पाए संसार में किसी भी पद पर बैठ जाए वह पद एक न एक दिन त्यागना पड़ेगा ओर पद त्यागते ही भूतपूर्व बन जाएंगे। भगवान का भक्त भूतपूर्व नहीं अभूतपूर्व होता है। इसलिए भगवत पद की कामना करे। स्वभाव समझ में आ जाए तो व्यवहार करने में कठिनाई नहीं होती। इसीलिए सामने वाले का स्वभाव जान व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने राम से मिलने के लिए भरत के सेना के साथ आने पर लक्ष्मण के आवेश में आकर हथियार उठा लेने के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि कभी भी आवेश में आकर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए वरना बाद में पछताना पड़ता है। राम ओर भरत का प्रेम इस सम्बन्ध की परिकाष्टा है। जो आपके लिए अपने आपको समाप्त करने को तैयार हो जाए वहीं जीव भगवान के समान होता है। भगवान भक्त को जीताने के लिए हमेशा हार जाते है। कथा के दौरान मंच पर हनुमान टेकरी के महन्त बनवारीशरण काठियाबाबा, हाथीभाटा आश्रम के महन्त संतदासजी महाराज सहित कई पूज्य संत-महात्मा आदि भी विराजित थे। राजन महाराज के व्यास पीठ पर विराजने के बाद एवं शाम को कथा विश्राम पर आरती एवं अभिनंदन करने वालों में मुख्य जजमान श्री गोपाल राठी, राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री धीरज गुर्जर, मध्यप्रदेश के राज्य कैश विकास बोर्ड के अध्यक्ष नंदकिशोर वर्मा, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक सुरेशजी भाईसाहब, श्री गणेश उत्सव समिति के अध्यक्ष उदयलाल समदानी, दिलीप गोयल, नगर निगम के उप महापौर रामनाथ योगी, नेता प्रतिपक्ष धर्मेन्द्र पारीक, जगमोहन गुप्ता, रमेश बांगड़, चिराग राठी, पवन बेसवाल, सौरभ बेसवाल, रमेशा गौमुर, अशोक बाहेती, श्यामसुन्दर नौलखा, महावीर समदानी, प्रकाश पोरवाल, शुभम बाहेती, एडवोकेट कमल काष्ट, दुर्गेश शर्मा, राजेन्द्र गंदोड़िया, गोपाललाल सोमानी, बालमुकुन्द सोनी, आलोक पलोड़,गोपाललाल सोमाणी, सुभाष अग्रवाल, रामनारायण सोमानी, जगदीश मोगरा, दयाशंकर शुक्ला, रमेश सोमानी, मुकुट बसेर, मंगल जैन, मनोज शारदा, प्रतीक शारदा, अशोकसिंह चौहान, विपीन अग्रवाल, शंशाक गोयल, सुनील रांका, रामचन्द्र मूंदड़ा, हरीश काकाणी, सुनील सोनी, रवि सोनी, जितेन्द्र सोनी, प्रहलाद सोनी, विजय जैन, दशरथ भारद्धाज, सत्यनारायण काबरा, पंकज समदानी, अभिषेक राठौड़, उदय कुमावत, सत्यनारायण पारीक, गोपाल जोशी,राजेश पाटनी, पवन नागौरी, नंदगोपाल शर्मा, दिनेश तिवाड़ी, संजय पेडिवाल, मनोज पालीवाल, लीलारामजी, चन्द्रकांता बाहेती, अमिषा राठी,मंजूदेवी,शांतिदेवी, पुष्पा शारदा, राखी शारदा,मंजू गुप्ता, नीतू गोयल, सीमा अग्रवाल, गिरिजा शर्मा, लीला शर्मा, स्नेहलता पटवारी, प्रेमलता शर्मा, साधना सोनी, तारा शर्मा, लक्ष्मी शर्मा, पुष्पा शर्मा आदि भक्तगण शामिल थे। विश्राम स्थल से कथास्थल तक रामचरित मानस की पोथी लाने-ले जाने वाले यजमान में संगम ग्रुप के वाइस चेयरमैन श्रीनिवास मोदानी एवं ममता मोदानी, देवीलाल,गजानंद, गिरीराज,नवनीत बजाज परिवार, अशोक एवं चन्द्रकांता बाहेती, सीए दिलीप गोयल एवं शंशाक गोयल,पवनकुमार एवं गुड्डी नागौरी शामिल थे। श्री गणेश उत्सव समिति की ओर अध्यक्ष उदयलाल समदानी एवं पदाधिकारियों, ब्राह्मण समाज के संगठन विप्र फाउण्डेशन के जिलाध्यक्ष तुलसीराम शर्मा एवं पदाधिकारियों ने राजन महाराज का संगठन की ओर से स्वागत किया। अतिथियों का स्वागत श्रीरामकथा सेवा समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज, सरंक्षक राधेश्याम सोमानी, महासचिव पीयूष डाड, कन्हैयालाल स्वर्णकार, समिति की महिला प्रमुख मंजू पोखरना, डॉ. उमाशंकर पारीक आदि ने किया। मंच का कुशल संचालन पंडित अशोक व्यास ने किया।

*अवध बिहारी हम आए शरण तुम्हारी*

श्रीराम कथा के दौरान राम-भरत मिलाप प्रसंग चला तो राजन महाराज के मुखारबिंद से निरन्तर प्रभु भक्ति से ओतप्रोत भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। भजनों पर कई श्रद्धालु नृत्य कर अपनी भावना का इजहार करते दिखे। उन्होंने जहां ले चलोंगे वहीं मैं चलूंगा, अवध बिहारी हम आए शरण तुम्हारी, अर्थ चाहिए न धर्म काम चाहिए कौशल्या कुमार राम चाहिए, हम तो दास है गुरू के चरण के जैसे भजनों की प्रस्तुति से भी माहौल भक्ति व भावनाओं से परिपूर्ण कर दिया। उन्होंने कहा कि भजन वह है जिसके प्रभाव से भजन नहीं करने वाला भी भजन करने लग जाता है। भजन के प्रभाव से जीवन में वैर विरोध समाप्त हो जाते है। भगवत साधना का भजन श्रेष्ठ माध्यम है।

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