सलावटिया। सिगोंली से चातुर्मास पूर्ण कर पूज्य आर्यिका प्रशममती माता जी एवं पूज्य आर्यिका उपशममती माता जी का ससंघ गुरुवार को पैदल शोभायात्रा के साथ चादंजीकी खेड़ी में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। सकल दिगंबर जैन समाज ने बड़ी संख्या में पहुँचकर आर्यिका संघ की अगवानी एवं स्वागत किया।
मंगल प्रवचन के दौरान पूज्य प्रशममती माता जी ने कहा कि अहिंसा, संयम और तप ही धर्म के वास्तविक स्वरूप हैं। उन्होंने बताया कि भगवान के समक्ष आज धर्म दो प्रकार—संयम और भक्ति—का माना गया है, परंतु वर्तमान में धर्म की परिभाषा केवल भक्ति तक सीमित कर दी गई है। जीवन के कल्याण हेतु संयम और तप को अपनाना भी आवश्यक है, क्योंकि इन्हीं से युक्त व्यक्ति वास्तव में धर्ममय माना जाता है। प्रवचन जैन संत शाला में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन निर्मल कुमार, राहुल कुमार काला परिवार द्वारा किया गया। माताजी को शास्त्र भेंट सुजानमल, जीतेंद्र कुमार, गौरव एवं दक्ष पाटनी परिवार द्वारा समर्पित किए गए। इस अवसर पर तपोदय तीर्थ क्षेत्र समिति एवं सलावटिया समाजजनों ने आर्यिका संघ को श्रीफल भेंट किया।
कार्यक्रम में डाबी, झातंला, बोराव, थडोद, लाम्बाखो, कोटा, सलावटिया, आरोली, छोटी बिजोलिया, सिगोंली एवं बिजोलिया के बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएँ सम्मिलित हुए। 21 तारीख शुक्रवार को शोभायात्रा के साथ आर्यिका संघ का तपोदय तीर्थ क्षेत्र बिजोलिया में भव्य मंगल प्रवेश होगा।