भीलवाड़ा। आस्था और परंपरा के प्रतीक पर्व **बछ बारस** को बुधवार को शहर में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गौमाता के बछड़े के अटूट प्रेम को समर्पित होता है। इस अवसर पर महिलाओं ने रामधाम गौशाला, माधव गौशाला सहित शहर की विभिन्न गौशालाओं में जाकर गाय और उसके बछड़े की विधिवत पूजा की।
पूजा के दौरान महिलाओं ने अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना की। देवरिया बालाजी मंदिर परिसर स्थित गौशाला में सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक मंगल गीत गाते हुए एकत्रित हुईं। वहां गाय और बछड़ों को तिलक लगाया गया, उन्हें चुनरी ओढ़ाई गई और पूरे विधि-विधान से पूजन किया गया।
इस अवसर पर महिलाओं ने बछ बारस की पौराणिक कथा का श्रवण भी किया। पूजा में शामिल कीर्ति सैनी ने बताया कि इस दिन व्रत रखने से बेटों की आयु लंबी होती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। उनके साथ पूजा करने आईं कमला देवी माली और दिव्या स्वर्णकार ने इस पर्व से जुड़ी विशेष परंपराओं की जानकारी दी।
महिलाओं ने बताया कि बछ बारस के दिन गाय के दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन वर्जित होता है। इसके अलावा गेहूं और धारदार वस्तुओं से कटी चीजें नहीं खाई जातीं। इस दिन बाजरा या मक्का से बने व्यंजन, अंकुरित चना, मूंग-मोठ की सब्जी आदि का विशेष रूप से उपयोग होता है। पूजा के बाद महिलाओं ने इन विशेष व्यंजनों को अपने परिवार के साथ मिलकर ग्रहण किया।
संतोष कॉलोनी और भंडारी ब्लॉक की महिलाओं ने सामूहिक रूप से गाय-बछड़े की पूजा कर पर्व मनाया। वर्धमान कॉलोनी में भी महिलाओं ने एक साथ मिलकर उत्सव मनाया। इस अवसर पर वीणा खटोड़ ने उपस्थित महिलाओं को बछ बारस की कथाएं सुनाईं और इस पर्व के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला।
वीणा खटोड़ ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का गायों और बछड़ों से गहरा लगाव था, इसीलिए यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। उनका मानना है कि बछ बारस के दिन गोपूजन करने से न केवल भगवान श्रीकृष्ण बल्कि गाय में निवास करने वाले सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
बछ बारस का पर्व भारतीय संस्कृति की गहराई से जुड़ा हुआ है। यह पर्व न केवल गो-सेवा और मातृत्व भाव का प्रतीक है, बल्कि यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों, प्रकृति और परंपराओं से जोड़ने का संदेश भी देता है।
संतोष कॉलोनी, भंडारी ब्लॉक की महिलाओं ने बछ बारस के अवसर पर गाय और बछड़े की पूजा की। उन्होंने संतान की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली की कामना की।
भाद्रपद कृष्ण द्वादशी के दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में इस व्रत का आयोजन किया जाता है। पुराणों में गौ माता के प्रत्येक अंग में देवी-देवताओं का निवास होने का वर्णन है। इस अवसर पर कई महिलाएं गौ माता का उद्यापन करती हैं, कुछ स्थानों पर गाय के सींगों को सजाया जाता है और तांबे के पात्र में इत्र, अक्षत, तिल, जल एवं फूल मिलाकर गौ का प्रक्षालन किया जाता है। पूजा के बाद गौ माता को उड़द से बने भोजन कराए जाते हैं और मोठ-बाजरे पर रखा रुपया अपनी सास को दिया जाता है।
बछ बारस का पर्व मनाया गया। इस दिन माताएं गाय और बछड़े की विधिवत पूजा करती हैं। विश्व हिंदू परिषद गौ रक्षा विभाग प्रखंड प्रमुख हेमेंद्र व्यास ने बताया कि बछ बारस के दिन देसी गाय का दूध, दही और छाछ माताएं काम में नहीं लेती हैं। इसका उद्देश्य अपने बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए पूजा करना है।
इस दिन माताएं पीले अनाज का ही सेवन करती हैं और पूरे दिन व्रत रहकर गौ माता की आराधना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया व्रत एवं पूजा परिवार में सुख-समृद्धि और बच्चों की लंबी उम्र सुनिश्चित करता है।
आकोला,कस्बे सहित क्षेत्र के गांवो में बुधवार को बछ बारस का पर्व पारंपरिक श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व मां और संतान के बीच वात्सल्य भाव का प्रतीक माना जाता है। सुहागिन महिलाएं घर की सुख समृद्धि और अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए गाय व बछड़े की पूजा अर्चना करती है। इस दिन गेहूं से बने पकवान और चाकू से कटी सब्जी नहीं खाई जाती है। मक्का ,बाजरे या ज्वार की रोटी व चने की सब्जी खाई जाती है। गो पूजन करके खुशवाली की कामना की ।
बनेड़ा (( KK Bhandari )) बनेड़ा कस्बे में गाय और बछड़े की पूजा कर महिलाओं ने उत्साह के साथ बछ बारस पर्व मनाया । यह एक हिन्दू त्योहार है जो भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है। इसे गोवत्स द्वादशी भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और गाय तथा बछड़े की पूजा करती हैं। गाय और बछड़े को तिलक लगाया जाता है, माला पहनाई जाती है और उन्हें बाजरे की रोटी, चने, मोठ, गुड़, और हरे फल आदि अर्पित किए जाते हैं फिर बछ बारस व्रत की कथा सुनी जाती है।
भीलवाड़ा -शहर में बुधवार को बच्छ बारस पर्व श्रद्धा और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया। श्री पशुपतिनाथ महादेव गौशाला के अध्यक्ष हरिभोजा गुर्जर ने बताया कि महिलाओं द्वारा पुत्र की दीर्घायु और परिवार की सुख समृद्धि की कामना को लेकर गाय और बछड़े की पूजा अर्चना की।व्यवस्थापक रवि कुमार गुर्जर ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन गाय की सेवा करने और सात्विक भोजन करने से घर में सुख समृद्धि और संतान की कुशलता बनी रहती है। यह पर्व पशु प्रेम और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक भी माना जाता है।
भीलवाड़ा, । शहर के मंगला चौक मणिक्य नगर में बछबारस (वत्स द्वादशी) का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर महिलाओं ने अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखा बछड़े की पूजा-अर्चना के बाद अपने पुत्र को तिलक लगाकर और श्रीफल देकर लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर महिलाओं ने पारंपरिक विधि-विधान से गाय और बछड़े की पूजा की। उन्होंने गाय को रोटी, हरा चारा और गुड़ खिलाकर उनकी परिक्रमा की। क्षेत्र की शिल्पा सोनी ने पुत्र हर्षिल को तिलक लगाकर और श्रीफल देकर लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया। शिल्पा ने बताया कि इस व्रत में माताएं संतान की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और बछड़े की पूजा के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस दौरान, शिल्पा ने कहा कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति की परंपराओं को दर्शाता है, जिसमें पशुओं के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव निहित है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है।
भीलवाड़ा। भीलवाड़ा शहर में प्रसिद्ध तीर्थ धाम देवरिया बालाजी मंदिर परिसर स्थित गौ शाला में बुधवार को बछ बारस श्रद्धा व उल्लास से मनाई गई। महिलाओं ने सुबह मंगल गीत गाते हुए गाय व बछड़े के भाल पर तिलक लगाकर विधि-विधान के साथ उनका पूजन किया। गायों को चूनरी ओढ़ाई और बछ बारस की कथा का श्रवण किया। साथ ही अपने बेटों की लम्बी उम्र व खुशहाल जीवन की कामना की।
देवरिया बालाजी गौशाला में पूजा करने आई कीर्ति सैनी ने बताया कि मान्यता है कि बछ बारस करने से बेटों की उम्र लम्बी होती है और उनके जीवन में खुशहाली रहती है। साथ आई महिलाओं में कमला देवी माली, दिव्या स्वर्णकार ने बताया कि आज के दिन बछ बारस पर गाय के दूध से बने उत्पादो का उपयोग नही किया जाता है। इस दिन गेहूं और चाकू एवं धारदार किसी चीज से कटी हुई वस्तु का इस्तेमाल नही किया जाता है। इसके स्थान पर बाजरा या मक्का से बनी खाद्य वस्तुओं अंकुरित चना, मूंग-मोठ की सब्जी का उपयोग होता है। जिसका पूजन के बाद परिजनों के साथ महिलाओं ने आनन्द साथ ग्रहण किया।
धनोप राजेश शर्मा।
बच्छ बारस पर गाय और बछड़े की पूजा कर महिलाओं ने अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। व्रत रखने वाली महिलाएं गाय के दूध का सेवन नहीं करती है वह चाकू से कटी हुई चीजों का उपयोग नहीं करती है। भैंस का दूध, बाजरे-मक्की की रोटी, चना इत्यादि चीज खाने के काम में लेती है।महिलाओं ने सज-धजकर गाय और बछड़े की पूजा-अर्चना की व अपने पुत्रों की लंबी आयु की कामना की। साथ ही घर परिवार की खुशहाली की कामना की। महिलाऐं गाय बछड़े की पूजा करने के बाद कहानी सुनती है। इस दौरान महिलाओं ने ग्वालें को भेंट स्वरूप दक्षिणा दी गई।
सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- कस्बे सहित आसपास के गांवों में गाय और बछड़े की पूजा कर महिलाओं ने उत्साह के साथ बछ बारस पर्व मनाया । यह एक हिन्दू त्योहार है जो भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है । इसे गोवत्स द्वादशी भी कहा जाता है । अमृता शर्मा, सुनीता श्रोत्रिय व रीना पुरोहित ने बताया कि इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और गाय तथा बछड़े की पूजा करती हैं । गाय और बछड़े को तिलक लगाया जाता है, माला पहनाई जाती है और उन्हें बाजरे की रोटी, चने, मोठ, गुड़, और हरे फल आदि अर्पित किए जाते हैं, फिर बछ बारस व्रत की कथा सुनी जाती है ।।
जोगणिया माता शक्तिपीठ प्रबंधन एवं विकास संस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी ने बछ बारस के अवसर पर गौशाला में विशेष पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान गायों एवं बछड़ों का विधि-विधान से पूजन कर उन्हें मीठा दलिया और हरा चारा खिलाया गया।कार्यक्रम में वेद विद्यालय के आचार्य और बाटुको ने वेद मंत्रों का उच्चारण कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके उपरांत सभी उपस्थित भक्तों और संस्थान के सदस्यों ने सामूहिक रूप से गौ माता की आरती वंदन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी ने कहा कि गौ सेवा आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जिस प्रकार जननी माता अपने बच्चों की देखभाल करती है, उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से हमें हृष्ट-पुष्ट, बलवान और बुद्धिमान बनाती है।साथ ही गौ मूत्र से कई तरह की की बीमारियां का उपचार होता है।जिससे हमारी संस्कृति में गो सेवा का बड़ा ही महत्व बढ़ जाता है।
इस अवसर पर संस्थान के कर्मचारी सहित क्षेत्र के कई प्रबुद्धजन मौजूद रहे।
