मक्का की फसल पर जंगली सुअरों का कहर, किसान परेशान

Update: 2025-08-20 10:30 GMT

भीलवाड़ा। कई गांवों में इन द‍िनों क‍िसानों की मेहनत से बोई गई मक्का की फसल कटाई से पहले ही जंगली सुअरों के हमले का शिकार हो रही है। सुवाणा के आस पास कई गांवों में सुअर दिन-रात खेतों में घुसकर मक्का की फसल को तोड़कर रस चूस रहे हैं, जिससे फसल बर्बाद हो रही है। किसान फसल को बचाने के लिए तारबंदी, रातभर खेतों में निगरानी, डंडों और पटाखों से डराने जैसे हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जंगली सुअरों पर इनका कोई असर नहीं हो रहा।

किसानों ने खेतों की सुरक्षा के लिए कांटेदार तार और झाड़ियों से घेराबंदी की है, लेकिन सुअर जमीन खोदकर खेतों में घुस आते हैं। कई जगहों पर तो खेतों की मेड़ें तक उखड़ चुकी हैं। किसानों का कहना है कि इन जानवरों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि उन्हें रोक पाना नामुमकिन हो गया है।

पिछले दो महीनों से कभी तेज बारिश तो कभी सूखे की मार झेल रहे किसानों की मुसीबत अब जंगली जानवरों ने और बढ़ा दी है। जब मक्का की बालियां (झंवरे) आने शुरू हो गये, तब खेतों में जंगली सुअरों का हमला शुरू हो गया। किसान इस संकट को  गंभीर मान रहे हैं, क्योंकि यह उनकी महीनों की मेहनत को तबाह कर रहा है।

क‍िसानों ने बताया, “हम रोज रात खेतों में ही रहते हैं। डंडे और पटाखे सब कुछ आजमा चुके, लेकिन सुअर बेखौफ होकर फसल को उजाड़ जाते हैं। एक क‍िसान के छह बीघा मक्का में से आधी से ज्यादा बर्बाद हो चुकी है।” वहीं, एक अन्‍य किसान का कहना है कि “तारबंदी पर हजारों रुपए खर्च किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अब सरकार को ही कोई समाधान निकालना होगा।”

सुवाणा क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों के किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रात होते ही सुअरों के झुंड खेतों में घुस जाते हैं। हालात यह हैं कि महिलाएं और बच्चे अब रात को खेतों की ओर जाने से डरने लगे हैं। किसानों ने वन विभाग और प्रशासन से इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो अगली फसल की बुवाई करना भी मुश्किल हो जाएगा।

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