आबकारी और पुलिस की सुस्ती, होटल-ढाबों पर बेरोकटोक परोसी जा रही है शराब, ठेकों पर भी देर रात तक बिक्री

Update: 2024-05-01 09:44 GMT

 भीलवाड़ा बीएचएन। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में अवैध रूप से शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। लेकिन आबकारी व पुलिस महकमे की सुस्ती से प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। हाल यह है कि होटल और ढाबे ही नहीं, बल्कि किराना दुकान व अंडों की बिक्री की ओट में अवैध रूप से शराब बिक्री की जा रही है। होटल ढाबों पर तो बार की तरह ग्राहकों को शराब परोसी जाती है। अवैध रूप से शराब का कारोबार कर रहे ढाबा व होटल मालिक इस धंधे से चांदी काटने में मशगूल हैं। शाम होते ही होटलें व ढाबे मयखाने बन जाते है। इन ढाबा संचालकों के हौसले इतने बुलंद है कि रात की बात तो दूर ये ग्राहकों को दिन के समय भी खुलेआम शराब परोसने में गुरेज नहीं करते है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में आने वाले लोग जाते समय थोड़ी देर होटल व ढाबों रुककर जाम से जाम टकराने के बाद निकलते हैं।

शराबियों के बैठने की भी अलग व्यवस्था

होटलों संचालक होटल पर आने वाले लोगों के लिए शराब परोस रहे हैं। शराबियों को बैठने के लिए अलग से व्यवस्था भी की हुई है। वहीं शराब के साथ पानी, सलाद व नमकीन की व्यवस्था की जाती है। शहर के 100 फीट रोड़ के साथ ही पांसल रोड़, भीलवाड़ा बाईपास, अजमेर-चित्तौडग़ढ़ हाइवे, कोटा रोड़, बाईपास पर दर्जन से अधिक होटल व ढाबे है जिन पर खुलेआम शराब के साथ ही नॉनवेज परोसा जाता है।

होटलों व ढाबों के पीछे बोतलों के ढेर

होटलों व ढाबों पर अवैध शराब के कारोबार का पता इनके पीछे लगे बोतलों के ढेर से चलता है। शराब पीने के बाद लोग बोतल को वहीं छोडकऱ जाते है। जिसे होटल व ढाबा संचालक इक्कठा करवाते है।

  पड़ताल से परहेज

शहर के साथ ही व अन्य सडक़ों के किनारे होटल-ढाबों का मनमर्जी से संचालन किया जा रहा है। लेकिन इन होटल-ढाबों की पड़ताल करने को लेकर ना तो आबकारी विभाग को फिक्र है और ना ही पुलिस विभाग को परवाह। ऐसे में इन मुख्य मार्गो पर मनमर्जी से दर्जनों होटल-ढाबों का संचालन किया जा रहा है।

अंधेरा होते ही कारों में भी छलकने लगते हैं जाम

अंधेरा होने के साथ ही कारों में भी शराब के जाम छलकने लगते हैं। कई लोग तो चलती कार में भी शराब पीते नजर आते हैं, जबकि कई लोग शराब ठेकों, अंडे के ठेलों व सडक़ों के किनारे और पार्किंग स्थलों पर जाम छलकाते हैं। इतना नहीं नशे के बाद इनके चौपहिया वाहनों की रफ्तार भी बढ़ जाती है, जिससे दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।

ठेकों पर भी समय बाद होती है बिक्री

शराब ठेकों पर भी निर्धारित समय रात आठ बजे बाद भी शराब की बिक्री बेरोकटोक हो रही है। ऐसे नजारे आसानी से दिखाई देते हैं। शराब ठेकों के शटर गिराने के बाद शटर का एक हिस्सा थोड़ा खुला होता है और बाहर से ग्राहकों द्वारा की जाने वाली डिमांड की अंदर से सेल्समैन पूर्ति करते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे भी स्थान है, जहां ठेके बंद करने के बाद आस-पास शराब का स्टॉक रखा जाता है, जिसकी बिक्री बेरोकटोक और औने-पौने दामों में की जाती है। 

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