केंद्र सरकार जीएसटी टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। इससे मिडिल और लोअर इनकम ग्रुप को राहत की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, 12% GST स्लैब को 5% में समायोजित किया जा सकता है। यह फैसला इसी माह होने वाली 56वीं जीएसटी काउंसिल मीटिंग में लिया जा सकता है।
किन चीजों पर पड़ेगा असर?
अगर 12% GST स्लैब को 5% में समायोजित होता है तो कपड़े, जूते-चप्पल और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दैनिक उपयोग में आने वाले कई सामान सस्ते हो जाएंगे। इनमें साबुन, टूथपेस्ट, मिठाई, नमकीन, पैकेज्ड जूस और जैम, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे पनीर, जूते-चप्पल, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी का फर्नीचर, पेंसिल और जूट/कॉटन हैंडबैग शामिल हैं।
भारत में मौजूदा GST स्लैब
स्लैब
श्रेणी
5%
अनाज, खाद्य तेल, चीनी
12%
घरेलू उपयोग के सामान
18%
सेवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स
28%
लग्जरी आइटम्स, कार, सिगरेट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए संकेत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं कि सरकार GST स्लैब को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया पर काम कर रही है। मार्च 2025 में उन्होंने यह कहा था कि जैसे ही यह प्रोसेस पूरा होगा, GST दरों में और कमी लाई जाएगी।
GST स्लैब में 8 साल बदलाव क्यों?
भारत में जीएसटी 1 जुलाई 2017 कोलागू हुई थी। 2025 में इसे लागू हुए 8 साल पूरे हो गए, लेकिन अब तक इसकी जटिलताएं दूर नहीं हो पाईं। आमजन से लेकर बड़े व्यापारी तक परेशान रहते हैं। सरकार अब इसकी संरचना में वास्तविक राहत देने वाला सुधार कर सकती है।
नितिन गडकरी ने लिखा था पत्र
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीमा पॉलिसी सहित कुछ जरूरी चीजों पर जीएसटी दरें कम करने की मांग उठाई थी। 2024 में उन्होंने वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण को पत्र लिखा था। वहीं भारत के व्यापारिक संगठन भी दैनिक उपयोग की वस्तुओं के अलावा कृषि और मेडिकल सेवाओं व उपकरणों में जीएसटी रेट कम किए जाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं।
