पीएम मोदी करेंगे लांच;: चिप बताएगी गाय-भैंसों के सात पुश्तों का इतिहास , जानें कैसे करेगी काम

Update: 2024-09-19 03:18 GMT

नई दिल्ली। कृत्रिम गर्भाधान के चलन ने स्वदेसी पशुओं की आनुवंशिकी को अत्यधिक परिवर्तित किया है। इससे दूध की मात्रा में तो वृद्धि हुई है एवं भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष है कि दूध की गुणवत्ता में गिरावट आई है।भारत ने ऐसी जीनोमिक चिप डेवलप किया है, जो गाय-भैंसों के पिछले सात पुश्तों की आनुवंशिक स्थिति को तुरंत बता देगी। यह चिप आत्मनिर्भर भारत के उदाहरण के साथ-साथ देसी नस्लों की मवेशियों के संरक्षण एवं गो-पालकों की आय बढ़ाने में सहायक होगी। चिप तैयार है, जिसे 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लांच कर सकते पशुओं की स्थितियां भिन्न

जीनोमिक चिप के जरिए किसी जीव के आनुवंशिक इतिहास का अध्ययन किया जाता है। कई विकसित राष्ट्रों ने डेयरी क्षेत्र की समृद्धि के लिए मवेशियों की आनुवांषिकी में काफी सुधार किया है, लेकिन उनके द्वारा तैयार चिप उनके ही पशुओं के अनुकूल है। भारतीय पशुओं की स्थितियां भिन्न हैं। इसलिए पशुपालन मंत्रालय ने गाय-भैंसों की स्वदेसी एवं उत्तम नस्लों के चयन के लिए अपना चिप बनाया है, जिसे गोवंश के लिए 'गौ चिप' एवं भैंस के लिए 'महिष चिप' नाम दिया गया है।कृत्रिम गर्भाधान के चलते अपने देश की लगभग दो तिहाई से ज्यादा स्वदेसी गोवंश की पीढि़यां संकर नस्ल की हो चुकी हैं। वैज्ञानिक तरीके से देसी नस्ल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गोकुल मिशन की शुरुआत 2014 में की गई थी।

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