जिम में महिलाएं सुरक्षित हैं या असुरक्षित? हाई कोर्ट का सवाल, फिटनेस इंडस्ट्री में मचा हड़कंप
नई दिल्ली। जिम और फिटनेस सेंटरों में महिलाओं को पुरुष ट्रेनरों द्वारा ट्रेनिंग देने पर हाई कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि “बिना सुरक्षा और सम्मान के ट्रेनिंग देना महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है।”
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुरुष जिम प्रशिक्षकों द्वारा महिला प्रशिक्षुओं को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना प्रशिक्षण देने पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी को जिम के पंजीकरण और सुरक्षा उपायों पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
हाई कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि फिटनेस इंडस्ट्री में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उनके लिए सुरक्षित और सहज माहौल बनाने की जिम्मेदारी कोई नहीं निभा रहा। कोर्ट ने सरकार और संस्थाओं को दिशा-निर्देश तय करने के आदेश दिए हैं।
महिला याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कई बार जिम में ट्रेनिंग के दौरान असहज स्थितियां पैदा हो जाती हैं और महिला ट्रेनरों की कमी से समस्या और गहरी हो जाती है।
अदालत का साफ कहना है कि “फिटनेस सिर्फ शरीर की बात नहीं, यह आत्मसम्मान और आत्मविश्वास से भी जुड़ा है। अगर महिलाएं जिम में सुरक्षित नहीं होंगी तो फिटनेस का पूरा मकसद ही खत्म हो जाएगा।”
अब यह मामला बहस का विषय बन गया है—
👉 क्या हर जिम में महिला ट्रेनर अनिवार्य होने चाहिए?
👉 क्या फिटनेस सेंटरों को महिलाओं के लिए अलग ट्रेनिंग स्लॉट बनाने चाहिए?
👉 क्या सरकार को इसके लिए सख्त गाइडलाइन जारी करनी चाहिए?
