युद्धविराम के लिए सहमत हुए पाकिस्तान-अफगानिस्तान, दोहा बैठक के बाद कतर ने किया बड़ा एलान

Update: 2025-10-19 03:10 GMT


दोहा/इस्लामाबाद/काबुल (एजेंसी)। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद और लगातार बढ़ते तनाव के बीच अब शांति की एक नई उम्मीद जग गई है। कतर की राजधानी दोहा में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई अहम बैठक के बाद कतर सरकार ने एलान किया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं। इस ऐतिहासिक सहमति को मध्य एशिया में स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

🔹 तीन दिन चली वार्ता

जानकारी के अनुसार, दोहा में यह बैठक पिछले तीन दिनों से चल रही थी। इसमें पाकिस्तान की ओर से विदेश सचिव असद मजीद खान और अफगानिस्तान की ओर से तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी शामिल हुए। बैठक में संयुक्त राष्ट्र, चीन और अमेरिका के प्रतिनिधियों ने भी पर्यवेक्षक के रूप में हिस्सा लिया।

🔹 सीमा पर झड़पों से तनाव

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के महीनों में तुर्कखम और चमन सीमा पर कई बार गोलीबारी और झड़पें हुई थीं, जिसमें दोनों तरफ के सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मौतें हुईं। पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि अफगानिस्तान की धरती से टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) जैसे आतंकी संगठन उसकी सुरक्षा बलों पर हमला कर रहे हैं। वहीं, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर सीमा पार गोलाबारी और हवाई हमले के आरोप लगाए थे।

🔹 कतर ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका

कतर सरकार ने दोनों देशों के बीच सुलह करवाने में अहम भूमिका निभाई। कतर के विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने बैठक के बाद बयान जारी करते हुए कहा,

> “दोनों देशों ने यह समझा है कि युद्ध और टकराव किसी समस्या का समाधान नहीं। उन्होंने तत्काल प्रभाव से युद्धविराम लागू करने और सीमा पर शांति स्थापित करने पर सहमति जताई है।”

🔹 अगले चरण में निगरानी समिति बनेगी

कतर ने यह भी बताया कि अगले 15 दिनों के भीतर एक संयुक्त निगरानी समिति बनाई जाएगी, जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और कतर के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति युद्धविराम की शर्तों के पालन और सीमा क्षेत्र में गतिविधियों की निगरानी करेगी।

🔹 अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्वागत किया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि “यह कदम दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।” भारत, चीन और अमेरिका ने भी बयान जारी कर शांति प्रक्रिया के लिए समर्थन जताया है

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