ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025:: 45 करोड़ खिलाड़ी, 20 हजार करोड़ का नुकसान और अब तीन साल की जेल का डर

Update: 2025-08-20 18:55 GMT

 

 

 

@ लोकसभा में पेश हुआ कड़ा विधेयक

@ सरकार बोली– समाज का हित पहले, कारोबार बाद में

@1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना

नई दिल्ली। देश में तेजी से फैल रहे ऑनलाइन गेमिंग के जाल पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। बुधवार को लोकसभा में **ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025** पेश कर दिया गया। यह बिल जहां एक ओर **ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग** को बढ़ावा देने का रास्ता खोलता है, वहीं दूसरी ओर **पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स यानी रियल मनी गेमिंग** पर पूरी तरह से नकेल कसता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री **अश्विनी वैष्णव** ने सदन में स्पष्ट किया कि यह कानून नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। उनके मुताबिक, "सरकार का मकसद नवाचार को बढ़ावा देना है, लेकिन समाज को बर्बाद करने वाली गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

क्यों लाया गया यह कानून?

सरकारी आकलन चौंकाने वाला है। सूत्रों के अनुसार, **देश में करीब 45 करोड़ लोग हर साल ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग खेलते हैं** और इनमें से अधिकांश नुकसान झेलते हैं। अनुमान है कि हर साल लगभग  20,000 करोड़ रुपये जनता की जेब से निकलकर इन प्लेटफॉर्म्स पर चले जाते हैं।**

विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हार और कर्ज में डूबने की वजह से कई लोग अपराध की राह पकड़ लेते हैं, तो कई मामलों में **आत्महत्याएं** भी सामने आई हैं। सांसदों ने भी सदन में बार-बार यह चिंता जताई थी कि युवाओं के जीवन और परिवार की खुशहाली ऑनलाइन गेमिंग से बर्बाद हो रही है।

 क्या होंगे प्रावधान?

ऑनलाइन मनी गेमिंग चलाने वालों को कड़ी सजा

बिल के मुताबिक, जो कंपनियां या व्यक्ति रियल मनी गेमिंग चलाते पकड़े जाएंगे, उन्हें **तीन साल तक की कैद एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों सजा मिल सकती है।

* **खिलाड़ी नहीं, प्लेटफॉर्म होंगे जिम्मेदार**

खेल खेलने वाले आम नागरिकों पर सीधा दंड नहीं लगेगा। सरकार का मानना है कि असल दोषी वे कंपनियां और प्लेटफॉर्म हैं जो लोगों को पैसे लगाने और हारने पर मजबूर करते हैं।

 राज्य सरकारों की बड़ी भूमिका 

कार्रवाई का दारोमदार मुख्य रूप से राज्य सरकारों के हाथ में होगा। यानी राज्यों को अपने स्तर पर लाइसेंसिंग और निगरानी करनी होगी।

 

 ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा

यह बिल सभी तरह की ऑनलाइन गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नहीं है। सरकार चाहती है कि **ई-स्पोर्ट्स, स्किल गेम्स और सोशल गेमिंग** को बढ़ावा मिले। इनसे न केवल रचनात्मकता और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि डिजिटल इकोनॉमी में भी नई जान फूंकी जा सकेगी।इसके लिए सरकार बजट, योजनाएं और प्रमोशन का प्रावधान करेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम भारत को **वैश्विक ई-स्पोर्ट्स मार्केट** में मजबूत खिलाड़ी बनाएगा।

उद्योग संगठनों की नाराज़गी



 



सरकार के इस कदम से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां भड़क उठी हैं।इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF)* और **फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS)** ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि यह बिल लाखों नौकरियों पर संकट डाल देगा।

उनका दावा है कि ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग का मूल्यांकन2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है और यह हर साल लगभग 31,000 करोड़ रुपये का राजस्व कमा रहा है। इसके अलावा यह उद्योग सरकार को टैक्स के रूप में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान देता है।फेडरेशनों का कहना है कि इस कानून से निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है और भारत का डिजिटल स्टार्टअप इकोसिस्टम कमजोर  हो जाएगा।

 सरकार का पलटवार: "जनहित सर्वोपरि"

हालांकि सरकार इस दबाव में आने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि उद्योग के राजस्व और समाज के नुकसान के बीच सरकार ने स्पष्ट रूप से **जनहित को प्राथमिकता** दी है।

एक अधिकारी ने कहा, "हर सांसद इस बात से सहमत है कि पैसे वाले गेम्स समाज में बर्बादी ला रहे हैं। उद्योग का एक तिहाई हिस्सा रियल मनी गेमिंग का है, लेकिन दो-तिहाई हिस्सा ई-स्पोर्ट्स और स्किल गेमिंग का है, जिसे हम प्रोत्साहित करना चाहते हैं।"

 युवाओं पर असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बिल खासतौर पर युवाओं और छात्रों के लिए राहत लेकर आएगा। कई रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि छोटे शहरों और कस्बों के युवक-युवतियां रियल मनी गेम्स में फंसकर अपनी  शिक्षा और करियर  तक दांव पर लगा देते हैं।

कर्ज बढ़ने पर अपराध, घर-परिवार में तनाव और कई बार आत्महत्या जैसे कदम उठाना मजबूरी बन जाता है। बिल लागू होने के बाद ऐसे प्लेटफॉर्म्स की पहुंच पर लगाम लगेगी और लोगों को राहत मिलेगी।

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने भी इस बिल का स्वागत किया है, हालांकि कुछ संशोधनों की मांग की है। उनका कहना है कि कानून तो ठीक है, लेकिन इसका **कड़ा और निष्पक्ष क्रियान्वयन** होना जरूरी है। कई सांसदों ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने पहले ही जीएसटी लगाकर इन गेम्स से राजस्व कमाया है, तो अब अचानक पूरी तरह प्रतिबंध की नौबत क्यों आई?

  आगे की राह

बिल पर अब संसद में बहस होगी और फिर इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू होगी। माना जा रहा है कि इसे लेकर उद्योग जगत से कड़ा विरोध जारी रहेगा, लेकिन सरकार अपने रुख पर अडिग है।

ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या सरकार समाज को नुकसान से बचाने के नाम पर एक उभरते उद्योग को कुर्बान कर रही है, या यह सही मायने में डिजिटल भारत को सही दिशा देगी?एक ओर लाखों युवाओं की जिंदगी इस लत से बच सकती है, तो दूसरी ओर हजारों नौकरियों और निवेश पर संकट गहराने का खतरा है।लेकिन इतना तय है कि अब तक "स्किल के खेल" के नाम पर चल रही जुएबाजी की दुकानें बंद होने की कगार पर हैं।

 

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