अमेरिका ने भारत पर लगाया 25% अतिरिक्त टैक्स, शशि थरूर बोले- ये दोहरा मापदंड है; हमें सीख लेनी चाहिए
नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 25% अतरिक्त टैक्स लगा दिए है। यह टैक्स भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर लगाया गया है। इस फैसले के बाद भारत से अमेरिकी बाजार में जाने वाले सामान पर कुल 50% टैक्स लगने लगेगा। ऐसे में भारत में इस बात को लेकर भी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अमेरिका के इस कदम को अनुचित और दोहरे मापदंड वाला बताया। साथ ही कहा कि अमेरिका खुद रूस से कई चीजें मंगा रहा है, लेकिन भारत को निशाना बना रहा है।
अमेरिका से ऐसी उम्मीद नहीं थी- थरूर
कांग्रेस सांसद ने कहा कि अमेरिका ने चीन को 90 दिन की छूट दी है, जबकि वह हमसे कहीं ज्यादा रूसी तेल खरीदता है। उन्होंने कहा कि यह दोस्ती का संकेत नहीं है। अमेरिका से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी। थरूर ने इस फैसले को अनुचित, अन्यायपूर्ण और गैरजरूरी बताया। साथ ही कहा कि अमेरिका भारत के साथ दोहरा रवैया अपना रहा है।
बता दें कि बीते छह अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक आदेश पर साइन किए, जिसके बाद भारत से आयात होने वाले सामान पर अब कुल 50% टैक्स लगेगा। उन्होंने इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े कारण बताए, खासकर भारत के रूस से तेल आयात को लेकर।
जवाबी टैक्स को लेकर तेज हो सकती है मांग- थरूर
थरूर ने यह भी इशारा किया कि अब भारत में अमेरिकी सामान पर जवाबी टैक्स लगाने की मांग तेज हो सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम और पैलेडियम जैसी चीजें खरीद रहा है। हमें अब इससे सबक लेना चाहिए और उसी हिसाब से कदम उठाने होंगे।
थरूर ने बताया कि कैसे हमारे निर्यात पर होगा असर?
इसके साथ ही थरूर ने कहा कि 50% टैक्स की वजह से भारतीय सामान अब अमेरिका में बहुत महंगे हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर हमारे प्रतियोगी देशों जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, बांग्लादेश और पाकिस्तान पर कम टैक्स है, तो अमेरिकी लोग सस्ता सामान वहीं से खरीदेंगे। इससे हमारे निर्यात को नुकसान होगा।
थरूर का सुझाव- नए बाजार की तलाश पर जोर
इसके साथ ही ट्रंप के टैरिफ के जवाब में थरूर ने सुझाव दिया कि भारत को अब अपने व्यापारिक रिश्तों को अन्य देशों की ओर मोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने यूके के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) साइन किया है। यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बातचीत चल रही है। हमें नए बाजारों की तलाश करनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने की इसकी आलोचना
इसके अलावा भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। मंत्रालय ने कहा कि यह फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हमारे रणनीतिक रिश्तों की भावना के खिलाफ है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि भारत की तेल खरीद जरूरतों के अनुसार होती है और यह 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी है।
