सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, गरीब कैदियों की रिहाई में अब जमानती रकम नहीं बनेगी रोड़ा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के माध्यम से राज्य सरकारों द्वारा गरीब विचाराधीन कैदियों की जमानत राशि के भुगतान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में संशोधन किया है।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और न्यायमित्र सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा द्वारा दिए गए सुझावों को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया।
पीठ ने नए मानक संचालन प्रक्रिया के तहत कहा कि यदि किसी गरीब विचाराधीन कैदी के लिए जमानती रकम जमा करना संभव नहीं है तो डीएलएसए उसकी ओर से यह राशि भर सकेगी। डीएलएसए अधिकतम एक लाख रुपये तक की रकम जमानत के रूप में दे सकेगी।
कोर्ट ने पिछले साल 13 फरवरी को जारी अपनी पूर्व मानक प्रक्रिया (एसओपी) में कुछ संशोधन किए और आदेश दिया कि एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा जिसमें जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित व्यक्ति, डीएलएसए के सचिव, पुलिस अधीक्षक, संबंधित जेल के अधीक्षक/उपाधीक्षक और संबंधित जेल के प्रभारी जज शामिल होंगे।