नई दिल्ली चीन के तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। पूरी दुनिया की निगाहें इस सम्मेलन पर थी। खासकर अमेरिका द्वारा दुनिया के कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने से उपजे तनाव के बीच यह बैठक हो रही थी। अब ऐसा लग रहा है कि भारत-चीन और रूस के बीच बढ़ती नजदीकियां देखकर अमेरिका के तेवर नरम पड़ गए हैं। दरअसल जिस वक्त पीएम मोदी चीन के तियानजिन में मौजूद रहे, उसी वक्त नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर ट्वीट किया है।
'21वीं सदी का निर्णायक रिश्ता'
अमेरिकी दूतावास ने लिखा कि, 'अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है। यह 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है। इस महीने, हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं। नवाचार और उद्यमिता से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों तक, यह हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच की स्थायी मित्रता ही है जो इस यात्रा को ऊर्जा प्रदान करती है।'
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने और यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित करने का आरोप लगाते हुए भारत पर यह टैरिफ लगाया है। हालांकि भारत ने इसे अनुचित करार दिया है। साथ ही ट्रंप प्रशासन लगातार भारत पर टैरिफ लगाने का बचाव कर रहा है। इससे भारत और अमेरिका के रिश्ते थोड़े खराब हुए हैं। हालांकि अमेरिका में ही ट्रंप की टैरिफ नीति का विरोध हो रहा है।
चीन ने अमेरिका पर साधा निशाना
वहीं एससीओ सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ शब्दों में अमेरिका को चेताया कि आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति नहीं चलेगी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ में कहा, 'हमने कानून प्रवर्तन और सुरक्षा सहयोग को लगातार बढ़ावा दिया, मतभेदों को उचित ढंग से सुलझाया, बाहरी हस्तक्षेप का स्पष्ट रूप से विरोध किया और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखी। हम सभ्यताओं के बीच समावेशिता और आपसी सीख के हिमायती हैं, और आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति का विरोध करते हैं।'