भारत की बढ़ेगी समुद्री ताकत, एक लाख करोड़ से ज्यादा के होंगे दो बड़े पनडुब्बी सौदे

Update: 2025-08-31 18:50 GMT

नई दिल्ली चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत के मद्देनजर भारत हिंदू महासागर में अपनी समुद्री युद्ध क्षमताओं में लगातार इजाफा कर रहा है। इसी के तहत अगले साल के मध्य तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के दो बड़े पनडुब्बी सौदों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि पहली परियोजना तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद की है। इस पर बातचीत चल रही है। इनका निर्माण सरकारी कंपनी मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) और फ्रांसीसी रक्षा प्रमुख नेवल ग्रुप की ओर से संयुक्त रूप से किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने करीब 36,000 करोड़ रुपये के इस सौदे को दो वर्ष पहले मंजूरी दे दी थी, लेकिन परियोजना के विभिन्न तकनीकी और वाणिज्यिक पहलुओं को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत में देरी हुई है। रक्षा मंत्रालय की जिस दूसरी परियोजना पर नजर है, वह लगभग 65,000 करोड़ रुपये की लागत से छह डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियों की खरीद है। इस खरीद को मंत्रालय ने 2021 में ही मंजूरी दी थी। सूत्रों ने बताया कि उम्मीद है कि अगले साल के मध्य तक दोनों सौदों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

जर्मनी कंपनी ने की साझेदारी

सूत्रों ने बताया कि अग्रणी जर्मन जहाज निर्माता कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) ने छह डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियों से जुड़ी परियोजना के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। इसे हाल के वर्षों में सबसे बड़ी मेक इन इंडिया पहल में से एक बताया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सौदे के लिए लागत पर बातचीत जल्द ही शुरू होगी और अनुबंध पूरा होने की पूरी प्रक्रिया में छह से नौ महीने का समय लग सकता है। प्रोजेक्ट 75 इंडिया (पी75-आई) के तहत छह स्टील्थ पनडुब्बियों का प्रस्तावित अधिग्रहण एक पूरी तरह से नया कार्यक्रम है। इसमें तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की योजना पिछले अधिग्रहण का अनुवर्ती आदेश होगी। नौसेना का प्रोजेक्ट 75 के अंतर्गत, मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) की ओर से नौसेना समूह के सहयोग से छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण पहले ही किया जा चुका है।

नौसेना की इच्छा, जल्द हों सौदे

एक अधिकारी ने बताया कि नौसेना चाहती है कि दोनों सौदे शीघ्र ही पूरे हो जाएं, क्योंकि वह अपनी समुद्री क्षमताओं को बढ़ाना चाहती है। सूत्रों ने बताया कि डीजल इंजन कार्यक्रम के लिए लागत वार्ता प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में समय लगेगा। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए वाणिज्यिक वार्ता लगभग पूरी हो चुकी है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो स्कॉर्पीन परियोजना अगले वर्ष की शुरुआत में अंतिम रूप ले लेगी, क्योंकि इसमें पहले ही काफी देरी हो चुकी है।

अनुबंध होने के छह साल बाद आपूर्ति

सूत्रों ने बताया कि दोनों परियोजनाओं के तहत पनडुब्बियों की आपूर्ति अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के लगभग छह वर्ष बाद शुरू होगी। क्या एमडीएल के पास दोनों परियोजनाओं को एक साथ क्रियान्वित करने की क्षमता होगी, सूत्रों ने कहा कि इसके लिए जहाज निर्माता को अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ाना होगा। स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना में पहले ही अत्यधिक देरी हो चुकी है और हमें उम्मीद है कि यह जल्द ही पूरी हो जाएगी।

अधर में लटकी परियोजना

हालांकि रक्षा मंत्रालय ने अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के साथ-साथ फ्रांस से राफेल जेट के 26 नौसैनिक संस्करणों की खरीद के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी, लेकिन पहली परियोजना अभी भी अधर में लटकी हुई है। अप्रैल में भारत और फ्रांस ने एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत 64,000 करोड़ रुपये (7 बिलियन यूरो) की लागत से 26 राफेल समुद्री जेट विमानों की खरीद के लिए एक बड़ा सौदा किया गया था। इन्हें नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।

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