नेपाल में भड़की हिंसा: अब तक 22 मौतें, पशुपतिनाथ मंदिर बंद; भारत की सीमाओं पर बढ़ा खतरा
काठमांडू/नई दिल्ली,: नेपाल में युवा पीढ़ी (Gen Z) के नेतृत्व में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने पूरे देश को आग की लपटों में झोंक दिया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों में अब तक कम से कम 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हैं। देश में कर्फ्यू लगाया गया है, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। इस बीच, भारत सरकार की खुफिया एजेंसियां चेतावनी दे रही हैं कि नेपाल की यह अशांति सीमा पार भारत में फैल सकती है, जिससे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में सुरक्षा को खतरा है। केंद्र सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है, ताकि असामाजिक तत्व इस स्थिति का फायदा न उठा सकें।
हिंसा की शुरुआत और पृष्ठभूमि
नेपाल में पिछले कुछ दिनों से युवा प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हुए हैं। ये प्रदर्शन शुरू में शांतिपूर्ण थे, लेकिन जल्द ही हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता को बढ़ावा दे रही है। Gen Z के युवा सोशल मीडिया के जरिए संगठित होकर विरोध जता रहे हैं, जिससे पूरे देश में अराजकता फैल गई है। मंगलवार को हिंसा चरम पर पहुंच गई, जब प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, जिला कोर्टों सहित कई महत्वपूर्ण संस्थाओं को आग के हवाले कर दिया। मुख्य प्रशासनिक केंद्र सिंह दरबार, राष्ट्रपति कार्यालय, पूर्व प्रधानमंत्री ओली के आवास और प्रमुख राजनीतिक दलों के मुख्यालयों में भी तोड़फोड़ की गई। कई जगहों पर आग अब तक नहीं बुझी है, और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है।
प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद भी हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं। नेपाल आर्मी ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है, और सेना प्रमुख शहरों जैसे काठमांडू, पोखरा और अन्य इलाकों में गश्त कर रही है। लाउडस्पीकरों के जरिए जनता से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है। लेकिन प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, और झड़पें जारी हैं।
भारत की आशंकाएं: सीमा पर बढ़ा खतरा
नेपाल की यह हिंसा भारत के लिए चिंता का बड़ा विषय बन गई है। दोनों देशों की खुली सीमा (लगभग 1,751 किलोमीटर लंबी) के कारण अशांति आसानी से फैल सकती है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के इनपुट्स के अनुसार, नेपाल के हंगामे की आड़ में असामाजिक तत्व और बदमाश भारत के सीमावर्ती इलाकों में फसाद पैदा कर सकते हैं। वे सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं या हिंसा भड़का सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस स्थिति का फायदा उठाकर आतंकवादी या आपराधिक गिरोह सक्रिय हो सकते हैं, जिससे भारत में अस्थिरता फैल सकती है।
इस खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल कदम उठाए हैं। भारत-नेपाल बॉर्डर पर सिक्योरिटी फोर्सेस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसमें उत्तराखंड पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस, बिहार पुलिस, पश्चिम बंगाल पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) शामिल हैं। ये फोर्सेस मिलकर बॉर्डर की निगरानी बढ़ा रही हैं, ताकि कोई गड़बड़ी न हो। खासतौर पर उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत; उत्तर प्रदेश के महाराजगंज, कुशीनगर; बिहार के किशनगंज, सुपौल; और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जैसे इलाकों में अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि नेपाल की अराजकता से भारतीय पर्यटकों, व्यापारियों और सीमा पार रहने वाले नेपाली नागरिकों को भी खतरा है। भारत ने नेपाल से सटे इलाकों में इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीमों को तैयार रखा है, और किसी भी संभावित घुसपैठ या हिंसा को रोकने के लिए ड्रोन और सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई गई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी नेपाल की स्थिति पर चिंता जताई है और कहा है कि भारत नेपाल के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन सीमा सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। साथ ही, भारत ने अपने नागरिकों को नेपाल यात्रा से बचने की सलाह दी है, खासकर उन इलाकों में जहां हिंसा ज्यादा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
नेपाल की इस स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंतित है। रूस ने भारत के बाद दूसरी बड़ी एडवाइजरी जारी की है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे नेपाल की हिंसक स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं। रूसी नागरिकों को नेपाल यात्रा स्थगित करने की सलाह दी गई है। जो रूसी नागरिक पहले से नेपाल में हैं, उन्हें सतर्क रहने, भीड़ से दूर रहने, स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने और जरूरत पड़ने पर दूतावास से संपर्क करने को कहा गया है। रूसी दूतावास के आसपास स्थिति शांत है, और अब तक कोई रूसी नागरिक पीड़ित नहीं हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी नेपाल में संयम बरतने का आग्रह किया है। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में हुई मौतों पर दुख जताया और अधिकारियों से मानवाधिकार कानूनों का पालन करने को कहा। गुटेरेस ने जोर दिया कि विरोध शांतिपूर्ण होने चाहिए, और जान-माल का सम्मान किया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने जांच की मांग की है।
नेपाल हिंसा के पांच लेटेस्ट अपडेट
हवाई अड्डों का बंद होना: नेपाल के सभी हवाई अड्डे बंद कर दिए गए हैं। सुरक्षा कारणों से उड़ानें रोक दी गईं। काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सेना का कब्जा है, और उड़ानें बुधवार शाम 6 बजे तक निलंबित रहेंगी।
जेलों से कैदियों का भागना: बड़े पैमाने पर कैदियों के भागने की खबरें हैं। पोखरा जेल से लगभग 900 कैदी फरार हो गए। काठमांडू की नाखू जेल पर हमला होने से सभी कैदियों को रिहा कर दिया गया। महोत्तरी के जलेश्वर जेल से 572 कैदी भागे, जब प्रदर्शनकारियों और कैदियों ने मिलकर जेल की दीवार गिरा दी।
पशुपतिनाथ मंदिर बंद: नेपाल के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल पशुपतिनाथ मंदिर को बुधवार को दर्शनार्थियों के लिए बंद रखा गया है। मंदिर की सुरक्षा के लिए नेपाली सेना तैनात है।
सेना की गश्त: सेना प्रमुख शहरों में गश्त कर रही है। काठमांडू घाटी सहित अन्य इलाकों में सुबह से ही जवान तैनात हैं, और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है।
मौतों और घायलों की संख्या: अब तक 22 मौतें हो चुकी हैं, और 500 से ज्यादा घायल हैं। हिंसा जारी रहने से संख्या बढ़ सकती है।
