उम्र बढ़ने के साथ कहीं कमजोर न हो जाए आंखों की रोशनी, अभी से शुरू कर दें ये उपाय

By :  vijay
Update: 2024-10-03 19:07 GMT

आंखें ईश्वर का वरदान मानी जाती हैं जिनकी मदद से हम इस दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण आंखों से संबंधित कई तरह की बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। आलम ये है कि कम उम्र में ही लोग भी आंखों की रोशनी कम होने, चशमा लगाने को मजबूर हैं। यहां तक कि पांच साल से कम आयु के बच्चों में भी आंखों से संबंधित दिक्कतें देखी जा रही हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, उम्र बढ़ने के साथ शरीर का लगभग हर अंग प्रभावित होता है, आंखें भी उनमें से एक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि दृष्टि दोष और अंधेपन से पीड़ित अधिकांश लोग 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। कम उम्र से ही अगर आंखों की देखभाल पर ध्यान दिया जाए, आहार और लाइफस्टाइल को ठीक रखा जाए तो आंखों की रोशनी को कम होने से बचाया जा सकता है।

आंखों की बीमारियों और दृष्टि दोष की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने, इन समस्याओं से बचाव के लिए अलर्ट करने के उद्देश्य से हर साल अक्तूबर के दूसरे गुरुवार (इस बार 10 अक्तूबर) को विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ होने वाली आंखों की समस्याओं से कैसे बचाव किया जा सकता है?

 

भारत में बढ़ रहा है खतरा

आंकड़े बताते हैं कि भारत में अनुमानित 4.95 मिलियन (49.5 लाख) से अधिक लोग अंधेपन या कम दिखाई देने की समस्या का शिकार हैं, इनमें बच्चे भी शामिल हैं। दिनचर्या-आहार में गड़बड़ी के कारण समय के साथ इसका खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को आंखों की गंभीरता से देखभाल करनी चाहिए।

इसके लिए पौष्टिक आहार का सेवन, आंखों को चोट से बचाने के साथ दिनचर्या में कुछ बदलाव आवश्यक हैं। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी आंखों की सेहत को प्रभावित करती हैं, इन्हें भी कंट्रोल रखा जाना चाहिए।

 

नियमित जांच जरूरी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सभी लोगों को नियमित जांच की आदत बनानी चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ हर छह महीने में नियमित रूप से आंखों की जांच जरूरी है। इससे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और दृष्टि दोष जैसी समस्याओं का समय रहते पता चल सकता है। आंखों की दिक्कतों का समय पर निदान हो जाए तो इलाज के माध्यम से गंभीर समस्याओं और अंधेपन से बचा जा सकता है।

 

शुगर-ब्लड प्रेशर रखें कंट्रोल

मधुमेह, उच्च रक्तचाप और पोषक तत्वों की कमी के कारण भी आंखों की सेहत प्रभावित हो सकती है। डायबिटीज रोगियों में डायबिटिक रेटनोपैथी की दिक्कत होने का खतरा रहता है, जो आंखों की रेटिना और अन्य कोशिकाओं को क्षति पहुंचा सकती है। उम्र बढ़ने के साथ चूंकि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर दोनों का जोखिम अधिक होता है, इसलिए इन्हें नियंत्रित करने के उपाय करके आंखों की रोशनी को कमजोर होने से बचाया जा सकता है।

 

धूम्रपान से बढ़ सकता है खतरा

जिन आदतों को आंखों को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाने वाला माना जाता है, धूम्रपान उनमें से एक है। धूम्रपान करने से 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मोतियाबिंद और मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान से ब्लड प्रेशर बढ़ने का भी जोखिम रहता है, इसलिए इस आदत को छोड़ना सेहत को ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है।

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