तेज से बढ़ रहे शुगर के मरीज: शुरुआत में पहचानना मुश्किल; जारी हुई डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग गाइडलाइन

By :  vijay
Update: 2024-10-11 11:40 GMT

मधुमेह के बढ़ते स्तर से आंखों की रोशनी खो सकती है। सही समय पर इसकी पहचान से समस्या को रोका जा सकता है। इस बढ़ते समस्या को देखते हुए विट्रीओ रेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया और रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया ने पहली डायबिटिक रेटिनोपैथी जांच गाइडलाइन तैयार की है।

 डॉक्टरों ने कहा कि जीवनशैली में बदलाव, शहरों की ओर पलायन, मोटापा और तनाव के कारण देश में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साथ ही मधुमेह से संबंधित आंखों की दिव्यांगता के मामलों भी बढ़े हैं। टाइप-2 मधुमेह कामकाजी आयु वर्ग के लोगों में आम है। यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

 मधुमेह रेटिनोपैथी के 12.5 फीसदी और आंखों की रोशनी को खतरे में डालने वाले मधुमेह रेटिनोपैथी के चार फीसदी मामले देश में दिखते हैं। यह बड़ी संख्या है। इस खतरे को शुरुआती चरण में पहचानना मुश्किल होता है। यह आंखों की रोशनी को छिनने वाला साइलेंट किलर है।

वीआरएसआई के अध्यक्ष डॉ. आर किम ने कहा कि इस गाइडलाइन की मदद से चिकित्सकों, मधुमेह विशेषज्ञों और नेत्र रोग विशेषज्ञों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इसका लक्ष्य बेहतर मधुमेह प्रबंधन को बढ़ावा देना और पूरे देश में रोकथाम योग्य दृष्टि हानि की घटनाओं को कम करना है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. सुधा चंद्रशेखर ने कहा कि मधुमेह से पीड़ित लाखों भारतीयों की आंखों की सुरक्षा के लिए, डायबिटिक रेटिनोपैथी जांच को सरकार की आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी शुरुआती पहचान को प्राथमिकता देकर, इस पहल का लक्ष्य पूरे देश में दृष्टि की रक्षा करना और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करना है।

Similar News