देश में बना पहला बायोबैंक, डायबिटीज के मरीजों के लिए क्यों है जरूरी
आईसीएमआर का डाटा बताता है कि भारत में डायबिटीज के 10 करोड़ से अधिक मरीज हैं. यह आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है. अब युवा आबादी भी इस बीमारी का शिकार हो रही है. डायबिटीज का आजतक कोई इलाज नहीं बना है. इसको केवल कंट्रोल किया जा सकता है. डायबिटीज के बारे में और अधिक जानने और इलाज की दिशा में काम करने के लिए आईसीएमआर और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन ने देश का पहला डायबिटीज बायोबैंक बनाया है. बायोबैंक क्या है और इससे क्या फायदा मिलेगा. इस बारे में जानते हैं.
दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग में डॉ. अजीत कुमार बताते हैं कि बायोबैंक किसी प्रकार का बैंक नहीं है, बल्कि इसमें डायबिटीज की बीमारी के बारे में एडवांस लेवल की रिसर्च की जा सकती है. इसमें डायबिटीज के मरीजों का डाटा निकालकर इलाज को और बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जा सकता है. बायोबैंक में डायबिटीज पर कई तरह की रिसर्च करने में मदद मिलेगी. यह डायबिटीज को अच्छे तरह के कंट्रोल करने के बारे में नई योजनाओं पर भी काम किया जा सकेगा, चूंकि डायबिटीज का आजतक कोई इलाज नहीं है ऐसे में इस सेंटर में इस दिशा में भी काम किया जा सकता है.
डायबिटीज मरीजों को मिलेगा काफी फायदा
डॉ अजीत बताते हैं कि अमेरिका में भी इस तरह के सेंटर हैं. लेकिन आजतक डायबिटीज का कोई इलाज नहीं मिलता है. खासतौर पर टाइप-1 डायबिटीज को रोकने की दिशा में बहुत कम काम हुआ है. ऐसे में उम्मीद है कि भारत में बना बायोबैंक इस बीमारी के इलाज को अधिक बेहतर बनाने के लिए नए बायोमॉर्कर की खोज कर सकेगा.
क्यों होती है डायबिटीज?
डॉ अजीत बताते हैं कि जब शरीर में इंसुलिन हार्मोन सही तरीके से काम नहीं करता है तो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है. ऐसा शरीर में शुगर लेवल के बढ़ने से होता है. डायबिटीज दो प्रकार की होती हैं. इनमें एक है टाइप-1 और दूसरी टाइप-2 है. टाइप -1 जेनेटिक कारणों से होती है और टाइप-2 खराब लाइफस्टाइल से, बीते कुछ सालों से दोनों प्रकार की डायबिटीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
डायबिटीज से बचाव कैसे करें
खानपान का ध्यान रखें
रोज एक्सरसाइज करें
मोटापा कंट्रोल करें
मानसिक तनाव न लें