शरीर के किसी भी तिल में अगर हो रहा बदलाव, हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानिए कैसे करें बचाव

By :  vijay
Update: 2024-10-11 20:00 GMT

हमारे बचपन से ही हमारे शरीर में कई प्रकार के तिल होते हैं. इनका साइज और रंग अलग अलग होता है. तिल होना बेहद ही सामान्य है लेकिन अगर आपको लग रहा है कि किसी तिल में बार-बार आकार और रंग में परिवर्तन हो रहा है तो आपको एक बार जरूर अपनी जांच करवानी चाहिए क्योंकि ये तिल कैंसरयुक्त भी हो सकता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो किसी भी प्रकार के तिल का बढ़ना और अपना आकार, रंग-रूप बदलना कैंसरयुक्त मस्से के लक्षण हो सकते हैं.

ये एक प्रकार का स्किन कैंसर हो सकता है जिसका पता लगाने के लिए जांच की जानी जरूरी है. समय रहते इसका पता लगाने और डॉक्टरी जांच से इसकी रोकथाम करने में मदद मिल सकती है. कैंसरयुक्त मस्से की पहचान करने का सबसे सरल तरीका है कि ये तिल अपना आकार बदलता है और साइज में बड़ा होना शुरू हो जाता है.

कैंसरयुक्त तिल क्या होते हैं

कैंसरयुक्त तिल स्किन कैंसर का ही एक प्रकार है जिसमें स्किन की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती है, इसे दो प्रकार में बांटा जाता है मेलेनोमा और गैर-मेलेनोमा. मेलेनोमा स्किन कैंसर का एक रूप है, लेकिन यह गंभीर भी हो सकता है क्योंकि ये तेजी से फैल सकता है. जिसकी वजह से समय रहते इसे पकड़ना और इलाज करना मुश्किल हो जाता है.

कैंसरयुक्त तिल होने की वजहें

अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक जब कोशिका डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है तो कैंसरग्रस्त मस्से बनने लगते हैं, और तेजी से बढ़ना शुरू हो जाते हैं. डीएनए क्षतिग्रस्त होने की एक मुख्य वजह स्किन का पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आना है. इन अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण जीन प्रभावित होते हैं और जीन ठीक से काम नहीं करते जिससे कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं और कैंसर की वजह बनती हैं. मेलेनोमा होने के लिए जेनेटिक फैक्टर्स भी जिम्मेदार हैं अगर आपके परिवार में इसका इतिहास रहा हो तो आपको भी ये कैंसर होने का खतरा अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा रहता है.

कैंसरयुक्त तिल की पहचान कैसे करें

– कोई घाव जो असामान्य दिखता हो, जिसमें खुजली या खून आता हो और एक महीने से अधिक समय से वो ठीक न हो पा रहा हो, कैंसरयुक्त हो सकता है. इसमें घाव पर पपड़ी भी आने लगती है.

– घाव का पारदर्शी, गुलाबी और लाल रंग का दिखना और छूने में खुरदरा महसूस होना.

– ये एक छोटी सी गांठ की तरह भी बढ़ सकता है.

– झाइयां और तिल

– लाल रंग के धब्बे जिनमें खुजली होती हो.

– शरीर पर नया तिल और समय के साथ अपना आकार और रंग बदल रहा हो

कैंसरयुक्त तिल का उपचार

कैंसरयुक्त तिल की जांच के लिए बायोप्सी की जाती है जिसमें तिल का एक हिस्सा लैब में जांच के लिए भेजा जाता है. अमेरिकन कैंसर सोसायटी का कहना है कि इसका इलाज तिल को हटाने के लिए सर्जिकल और गैर-सर्जिकल हो सकता है. गैर-सर्जिकल तरीकों में छांटना, लेजर से हटाना और फ्रीजिंग शामिल हैं. वही सर्जिकल प्रोसेस में एक चीरे की मदद से इसे हटाया जाता है. हालांकि कैंसर फैल गया है तो कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी की आवश्यकता भी पड़ सकती है.

कैंसरयुक्त तिल से बचाव

– इससे बचाव के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने से बचना चाहिए.

– धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.

– चेहरे और आंखों को कपड़े, चश्मे औऱ टोपी से ढकना चाहिए.

– हाथों और पैरों को भी पूरी बाजू के कपड़ों से सुरक्षित रखना चाहिए.

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