कोरोना के दौरान कई गुना बढ़ी डिस्लिपिडेमिया बीमारी, ये बन रही हार्ट अटैक का कारण
दो लाख लोगों पर हुई एक रिसर्च में यह सामने आया है की कोरोना महामारी के दौरान डिस्लिपिडेमिया बीमारी के मामले 30 फीसदी तक बढ़ गए थे. 65 साल से अधिक उम्र के जिन लोगों को मोटापा और डायबिटीज की बीमारी थी उनमें इस बीमारी के सबसे अधिक मामले थे. अमेरिका के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कोरोना महामारी के तीन महामारी वर्षों (2020-2022) के दौरान लोगों के खून में फैट की बढ़ती मात्रा के मामलों को देखा था. ये केस कोरोना से पहले इस बीमारी के आंकड़ों की तुलना में 30 फीसदी अधिक थे. लेखकों ने द जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन में लिखा है कि कोविड-19 के दौरान, प्री-कोविड-19 त्रिवार्षिक की तुलना में डिस्लिपिडेमिया विकसित होने का जोखिम 29 फीसदी अधिक था.
शोधकर्ताओं ने कहा कि डिस्लिपिडेमिया का बढ़ा जोखिम कोरोना महामारी के कारण है. हालांकि कोविड का इस बीमारी से क्या संबंध है इस बारे में रिसर्च में साफ तौर पर नहीं कहा गया है, लेकिन यह बताया गया है कि डिस्लिपिडेमिया बीमारी के कारण खून में फैट की मात्रा बढ़ जाती है जो हार्ट की बीमारियों का कारण बन सकती है. ये बीमारी हार्ट डिजीज, रोग, स्ट्रोक और अन्य कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं का कारण बनती है.
डिस्लिपिडेमिया बीमारी क्या होती है
जब ब्लड में फैट की मात्रा अधिक हो जाती है तो इसको डिस्लिपिडेमिया कहा जाता है. इसकी वजब से बैड कोलेस्ट्रॉल में भी इजाफा हो सकता है, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है. ऐसे में कोविड के बाद हार्ट अटैक के मामलों बढ़ने का एक कारण डिस्लिपिडेमिया हो सकता है, लेकिन इसको लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा है कि वह लोगों को सलाह देंगे कि वे अपने लिपिड लेवल की नियमित रूप से जांच कराएं और डिस्लिपिडेमिया का पता चलने पर उसके इलाज के तरीकों के बारे में डॉक्टरों से सलाह लें. इस मामले में लापरवाही न करें.
कोविड हाई बीपी का भी कारण
इस टीम के शोधकर्ताओं ने पहले भी एक रिसर्च की थी, जिसमें पता लगाया था किCOVID-19 महामारी ने हाई बीपी और टाइप 2 डायबिटीज के मामलों को बढ़ाया है. अब हाल की रिसर्स में यह साफ हुआ है कि कोरोना महामारी डिस्लिपिडेमिया बीमारी के बढ़ते मामलों का एक कारण हो सकती है.