सिर्फ फेफड़े ही नहीं शरीर के इन अंगों को भी खराब करता है प्रदूषण, ऐसे बनता है मौत का कारण

By :  vijay
Update: 2024-11-08 18:58 GMT

आप अपने आसपास देख रहे होंगे की लोग खांस रहे हैं, आंखों में जलन हो रही है और कुछ लोगों को सांस लेने तक में परेशानी हो रही है. यह सब कुछ बढ़ते प्रदूषण के कारण हो रहा है. साल दर साल देश के लिए वायु प्रदूषण एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है. सर्दी की दस्तक के साथ ही देश के कई इलाकों में AQI गंभीर श्रेणी में पहुंच जाता है. हवा के प्रदूषित होने से सांस की बीमारियां हो रही हैं. जिन लोगों को पहले से ही ऐसी बीमारियां हैं उनकी परेशानी बढ़ रही है. पॉल्यूशन के कारण सेहत इतनी खराब हो रही है की ये मौत का कारण बन रही है, हालांकि प्रदूषण सीधे तौर पर तो जान नहीं लेता है, लेकिन इसके कारण शरीर पर जो गंभीर असर पड़ता है. वह जान ले लेता है.

पॉल्यूशन सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि शरीर के कई अंगों को एक साथ खराब कर सकता है. जिससे मौत हो जाती है.द लैंसेट कमीशन की रिपोर्ट बताती हैं कि हर साल दुनिया के करीब 90 लाख लोगों की मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार है. WHO की रिपोर्ट बताती है कि भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा उन इलाकों में रहता है जहां पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस को पूरा नहीं करता है. ऐसे में लोगों को कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

पॉल्यूशन शरीर पर कैसे असर करता है. ये किन अंगों को खराब करता है और कैसे मौत का कारण बनता है. इससे बचाव कैसे करें? यह जानने के लिए हमनेवर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन ग्लोबल एयर पॉल्यूशन एंड ग्लोबल हेल्थ के सदस्य, और पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष डॉक्टर जी सी खिलनानी से बातचीत की है.

वायु प्रदूषण शरीर पर कैसे असर करता है?

डॉ. जी. सी खिलनानी बताते हैं कि प्रदूषण में कई तरह की खतरनाक गैस और छोटे-छोटे कण होते हैं. सांस लेने के दौरान ये लंग्स के निचले हिस्से में जाते हैं. फेफड़ों में मौजूद अल्वियोली में ये जमा होने लगते हैं. ये कण फेफड़ों की सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं और सूजन पैदा करते हैं. इससे फेफड़ों में अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी होती है. इन बीमारियों के कारण लगातार खांंसी बनी रहती है. कुछ मरीजों की सांस की नली में बलगम भी जमा होने लगता है. इस वजह से सीने में जकड़न हो जाती है और सांस लेने में परेशानी होती है. अगर सांस की परेशानी लंबे समय तक बनी रहे तो ये लंग्स के साथ साथ हार्ट पर भी गंभीर असर करती है. इससे हार्ट के फंक्शन में कमी आ सकती है.

प्रदूषण से क्या हार्ट अटैक भी आ सकता है?

डॉ खिलानी बताते हैं की एम्स दिल्ली की एक रिसर्च है, जो बताती है कि प्रदूषण बढ़ने के दौरान हार्ट अटैक के मामले 25 फीसदी तक बढ़ जाते हैं. प्रदूषित हवा में मौजूद पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसी खतरनाक गैसें खून में भी जाती हैं. प्रदूषण में मौजूद छोटे-छोटे कम भी खून में जाते हैं और नसों में जाकर जमा होने लगते हैं. इससे नसों में सूजन आ जाती है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ने लगता है. जब शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से नहीं हो पाता है तो इससे हार्ट को ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. इससे हार्ट की मांसपेशियों में प्रेशर बढ़ता है. इससे हार्ट बीट में बदलाव होता है. हार्ट को ब्लड पंप करने में परेशानी होने लगती है. जिससे हार्ट अटैक आ सकता है. जो मौत का कारण बन सकता है.

शरीर के किन अंगों पर प्रदूषण का असर होता है?

वायु प्रदूषण का असर लंग्स और हार्ट पर तो होता ही है. इसके अलावा ब्रेन, स्किन, आंखें, पाचन तंत्र और हड्डियों पर भी प्रदूषण का असर होता है. पॉल्यूशन लंग्स कैंसर का भी एक बड़ा कारण है. कई स्टडी आई हैं जिनमें बताया गया है की जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं उनको भी लंग्स का कैंसर हो रहा है. इसका एक बड़ा कारण प्रदूषण ही है. इस समय दिल्ली एनसीआर में पॉल्यूशन का जो लेवल है वह एक दिन में 10 से ज्यादा सिगरेट पीने के बराबर है. यानी इस जहां प्रदूषण बढ़ा हुआ है वहां आप रहते हैं और सिगरेट नहीं भी पीते हैं तो लंग्स कैंसर का खतरा पूरा है. लंग्स कैंसर दुनियाभर में मौतों का एक बड़ा कारण है.

प्रदूषण से बचाव कैसे करें

डॉ खिलनानी बताते हैं कि जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है उनको इस समय घर पर रहना चाहिए. घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं. अगर बाहर जा रहे हैं तो एन-95 मास्क लगाएं.

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