बच्चा होने के बाद भी हो सकती है बांझपन की समस्या, क्या है सेकेंडरी इनफर्टिलिटी

By :  vijay
Update: 2024-11-22 19:01 GMT

बच्चे का कंसीव न होना बांझपन की समस्या है, लेकिन अगर बच्चा हो जाता है तो मान लिया जाता है की कपल को बांझपन नहीं है, हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है. कुछ केस ऐसे भी देखे जाते हैं जहां पहला बच्चा होने के बाद महिला या पुरुष बांझपन का शिकार हो जाते हैं. यानी, एक बच्चा तो हो जाता है, लेकिन दूसरी संतान नहीं हो पाती है. मेडिकल की भाषा में इस समस्या को सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है. इस तरह का बांझपन क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है. इस बारे में जानते हैं.


अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के मुताबिक, सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण यह होता है कि कई कपल दूसरा बच्चा करने में 5 से 8 साल का समय ले लेते हैं. ऐसे में महिलाओं में अंडे की क्वालिटी अच्छी नहीं रहती है. इस वजह से बच्चा कंसीव नहीं हो पाता है. इसके अलावा कई दूसरे कारण भी हैं जिससे दूसरा बच्चा कंसीव करने में परेशानी आती है. महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस के कारण ऐसा हो सकता है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें यूट्रस के अंदर की परत के टिश्यू यूट्रस के बाहर विकसित हो जाते हैं. इससे बच्चा कंसीव नहीं हो पाता है.

कुछ महिलाओं में ट्यूबल ब्लॉकेज हो जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती है, जिससे अंडे का यूट्रस में प्रवेश करना मुश्किल हो जाता है. आजकल महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट की समस्या भी काफी बढ़ गई है. इससे बच्चा कंसीव होने में समस्या आती है.

20 फीसदी कपल को होती है ये बीमारी

यूरोपियन सोसाइटी फॉर ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एंब्रियोलॉजी की 2021 में एक स्टडी आई थी, जिसमें बताया गया था कि दुनियाभर के करीब 20 फीसदी कपल को पहले बच्चे के बाद सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है. एंडोमेट्रियोसिस, ट्यूबल ब्लॉकेज, और ओवेरियन सिस्ट इसके बड़े कारण हैं.

सेकेंडरी इनफर्टिलिटीका ट्रीटमेंट भी किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है. डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट करके पहले पता लगाते हैं कि बांझपन का कारण क्या है. फिर इसका इलाज किया जाता है.

आईवीएफ का सहारा लिया जा सकता है

सफदरजंग अस्पताल में गायनेकोलॉजी विभाग में डॉ. सलोनी बताती हैं कि सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का इलाज हो जाता है. लेकिन कुछ मामलों में अगर ट्रीटमेंट से फायदा नहीं मिलता है तो आईवीएफ का सहारा लिया जा सकता है. इससे महिला प्रेगनेंट हो सकती है और दूसरा बच्चा कंसीव भी हो सकता है.

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