दुनिया के कई देशों में कम हो रहे एचआईवी के नए मामले, मौतों में भी आई गिरावट

By :  vijay
Update: 2024-11-26 19:03 GMT

दुनिया भर में नए एचआईवी के मामलों और मौतों की संख्या में गिरावट आई है. द लैंसेट एचआईवी जर्नल में मंगलवार को प्रकाशित एक प्रमुख अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में एचआईवी संक्रमणों की संख्या में पांच प्रतिशत की गिरावट आई है. अध्ययन में कहा गया है कि एचआईवी से संबंधित मौतों में भी अब प्रति वर्ष 10 लाख की कमी आ रही है. एचआईवी वायरस के अंतिम चरण में एड्स की बीमारी होती है. एड्स के कारण इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है. इससे कोई दूसरी बीमारी भी हो जाती है. जो मौत का कारण बन सकती है.

द लैंसेट एचआईवी जर्नल के मुताबिक, कई देशों में एचआईवी के संक्रमण के मामलों में लगाातर कमी आ रही है. यह गिरावट मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका में दरों में सुधार के कारण हुई, यह इलाके इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित थे, लेकिन अब इन इलाकों में एचआईवी के नए मामलों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. रिसर्च में कहा गया है कि दुनियाभर में भले ही एचआईवी के नए मामलों में कमी आ रही है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र का 2030 तक एड्स से होने वाली मौतों के आंकड़ों को शून्य करने का लक्ष्य अभी काफी दूर है.

अभी भी एक चौथाई मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के प्रमुख अध्ययन लेखक हम्वे क्यू ने कहा कि दुनिया ने नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या को काफी हद तक कम किया गया है. हालांकि अभी भीहर साल दस लाख से अधिक लोगों को नया एचआईवी संक्रमण होता है और एचआईवी से पीड़ित 40 मिलियन लोगों में से एक चौथाई को इलाज नहीं मिल रहा है. कई मामलों में शुरुआत में एचआईवी के लक्षणों की लोगों को जानकारी नहीं होती है. जब ये बीमारी गंभीर रूप ले लेती है. तब इसके बारे में पता चलता है.

खत्म नहीं होती ये बीमारी

एचआईवी एक वायरस है जिसकी वजह से एड्स की बीमारी होती है. एचआईवी को एआरटी के ट्रीटमेंट से कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन अगर एचआईवी का वायरस अंतिम स्टेज में जाकर एड्स बन जाए तो इसका कोई इलाज नहीं हो सकता है. एचआईवी वायरस के खिलाफ आजतक कोई वैक्सीन भी नहीं बन पाई है.

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