अफ्रीका, यूके जाने वाले हो जाएं सावधान, मारबर्ग समेत इन वायरस का बढ़ रहा खतरा

By :  vijay
Update: 2024-12-04 19:04 GMT

दुनिया के कुछ देशों में मारबर्ग समेत एमपॉक्स और ओरोपाउट वायरस का खतरा बढ़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, करीब 17 देशों में इनमें से कोई न कोई वायरस मौजूद है. बीते कुछ दिनों से मारबर्ग वायरस के मामले भी अफ्रीका में बढ़ रहे हैं. इससे अफ्रीका के रवांडा में 15 मरीजों की मौत हो चुकी है. मारबर्ग एक जानलेवा बीमारी है. इसमें डेथ रेट 50 से 80 फीसदी तक है. मारबर्ग के साथ ही एमपॉक्स के मामले भी अफ्रीका और यूके में बढ़ रहे हैं. इनके अलावा अफ्रीका में ओरोपाउच वायरस के भी पांच हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. ऐसे में इन देशों की यात्रा करने वाले लोगों को वायरसों से बचने के लिए खास सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.


यूके में एमपॉक्स और अफ्रीका में मारबर्ग और ओरोपाउच वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए यात्रियों के लिए यह अलर्ट जारी किया गया है. यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने कहा है कि एमपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है. ऐसे में यात्रियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. खासतौर पर प्रेगनेंट महिलाओं और बच्चों को प्रभावित इलाकों की यात्रा करने से बचने की जरूरत है.

मारबर्ग वायरस ज्यादा खतरनाक

इन तीनों वायरस में से मारबर्ग ज्यादा खतरनाक है. इस वायरस के कारण इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है. जो मौत का कारण बन सकता है. मारबर्ग इतना खतरनाक है कि गंभीर लक्षण वाले मरीजों में इस वायरस से आठ से 9 दिन के भीतर मौत हो जाती है. ये वायरस किसी भी अंग में ब्लीडिंग कर सकता है. आंखों में भी ब्लीडिंग का रिस्क रहता है. इस कारण इस वायरस को ब्लीडिंग आई डिजीज भी कहा जाता है. यह वायरस संक्रमित चमगादड़ों से फैलता है. इसके बाद एक से दूसरे व्यक्ति में इसका ट्रांसमिशन होता है. ये वायरस नजदीकी संपर्क से फैल सकता है.

मारबर्ग वायरस के लक्षण

मारबर्ग से संक्रमित होने के बाद पहले हल्का बुखार आता है और इसके साथ सिरदर्द हो सकता है. अगर लक्षण कंट्रोल नहीं होते हैं तो मरीज को ब्लीडिंग हो सकती है, जो मौत का कारण बनता है. मारबर्ग वायरस की न तो कोई वैक्सीन हैं और न ही कोई दवा है. केवल लक्षणों के आधार पर मरीजों का इलाज होता है.

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