छोटे बच्चों में पीलिया (जॉन्डिस) होना कॉमन समस्या है. जन्म के बाद कई शिशुओं की आंखें पीली दिखने लगती हैं. क्योंकि उनके शरीर में बिलीरुबिन अधिक बनने लगता है, जिससे नवजात में पीलिया की समस्या हो जाती है. आमतौर पर यह समस्या कुछ दिनों में ठीक भी हो जाती है, लेकिन कभी-कभी यह गंभीर भी हो सकती है. ऐसे में नवजात की देखभाल जरूरी हो जाता है. खासकर माता-पिता को इस बारे में अधिक ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं नवजात बच्चों में पीलिया क्यों होता है.
गाजियाबाद के जिला अस्पताल में पीडियाट्रिक विभाग में डॉ विपिन चंद्र उपाध्याय बताते हैं किनवजात शिशुओं में पीलिया होने के कई कारण होते हैं. इसमें गर्भ में पल रहे बच्चे का संपूर्ण विकास नहीं होना. गर्भवती महिलाओं का सही रूप से पैष्टिक आहार नहीं लेना. जैसे कई लक्षण हो सकते हैं.
लिवर पूरी तरह विकसित नहीं होना
जन्म के बाद बच्चे का लिवर ठीक से काम करना शुरू नहीं करता, जिससे शरीर में बिलीरुबिन जमा हो जाता है, जिससे नवजात में पीलिया हो जाता है.
RBC का अधिक टूटना
नवजात शिशु में लाल रक्त कोशिकाएं ज्यादा बनती और टूटती हैं, जिससे बिलीरुबिन बढ़ जाता है. अगर नवजात में बिलीरुबिन अधिक बढ़ जाता है तो पीलिया होने का खतरा अधिक होता है.
कॉमन ब्लड ग्रुप नहीं होना
अगर मां और बच्चे के ब्लड ग्रुप अलग-अलग होते हैं तो इस स्थिति में भी पीलिया होने का खतरा बढ़ जाता है.
पीलिया कितना खतरनाक हो सकता है?
डॉ विपिन बताते हैं किवैसे तो कोई भी बीमारी शरीर के लिए खतरनाक ही होती है, लेकिन पीलिया 1-2 हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन कुछ स्थिति में यह गंभीर हालात भी पैदा कर देता है. अगर शरीर में बिलीरुबिन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो यह बच्चे के दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे मानसिक विकास रुक सकता है. अगर पीलिया लंबे समय तक बना रहे, तो यह लिवर पर असर डाल सकता है.
पीलिया से बचाव और इलाज कैसे करें?
बच्चे को बार-बार ब्रेस्ट फीडिंग कराने से पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है. अगर बच्चे में पीलिया के लक्षण ( स्किन या आखों का पीला होना) दिखे तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें. इस मामले में लापरवाही न करें.
