इस बीमारी के कारण दिमाग में आ जाती है सूजन, समय पर न हुआ इलाज तो जा सकती है जान
इंसेफेलाइटिस मस्तिष्क की एक गंभीर समस्या है जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। इंसेफेलाइटिस रोग की स्थिति मस्तिष्क में सूजन को बढ़ा देती है। वैश्विक स्तर पर अनुमान है कि इंसेफेलाइटिस के कारण प्रतिवर्ष लगभग 25,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। वायरल या बैक्टीरियल संक्रमणों के कारण ये समस्या हो सकती है।
हाल के वर्षों में देश में इंसेफेलाइटिस के जोखिमों को कम करने के लिए कई प्रयास किए गए जिसके अच्छे परिणाम भी देखे गए हैं। एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस के कारण होने वाली मृत्युदर काफी कम हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में उत्तर प्रदेश में 149 लोगों की इस बीमारी के कारण मौत हुई वहीं 2024 में राज्य में एक भी मौत के मामले नहीं दर्ज किए गए। इसके अलावा रिपोर्ट किए गए मामलों में भी काफी कमी देखी गई। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2005 में राज्य ने जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की महामारी का सामना किया था, जिसमें 6,000 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए थे और 1,400 से अधिक मौतें हुई थीं।
इंसेफेलाइटिस होता क्या है?
इंसेफेलाइटिस आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमणों के कारण होता है, कुछ स्थितियों में इम्यून सिस्टम के गलती से मस्तिष्क की कोशिकाओं पर अटैक करने के कारण भी सूजन की समस्या हो सकती है। मच्छर जनित बीमारियों के कारण भी कुछ लोगों में इंसेफेलाइटिस की समस्या होने का खतरा रहता है।
जब मस्तिष्क में संक्रमण के कारण सूजन होती है, तो इसे संक्रामक इंसेफेलाइटिस कहा जाता है, वहीं जब यह प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा मस्तिष्क पर अटैक करने के कारण होता है, तो इसे ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस के रूप में जाना जाता है।
इन वायरस के कारण भी फैलता है संक्रमण
जुलाई-अगस्त 2024 के दौरान देश में फैले चांदीपुरा वायरस संक्रमण के कारण भी कुछ लोगों में इंसेफेलाइटिस का खतरा देखा गया था। बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाले इस संक्रमण के कारण बच्चों में इंसेफेलाइटिस का जोखिम देखा गया था। गंभीर स्थितियों में इसके कारण कोमा और यहां तक कि मृत्यु का भी जोखिम रहता है।
वहीं इस साल फरवरी में कई स्थानों पर फैले कैंप हिल वायरस के संक्रमण के कारण भी लोगों में इंसेफेलाइटिस के जोखिमों को लेकर अलर्ट किया गया था।
इंसेफेलाइटिस के इन लक्षणों के बारे में जानिए
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इंसेफेलाइटिस होने पर 100.4 डिग्री फॉरेनहाइट बुखार के साथ सिर दर्द, गर्दन में जकड़न, बेहोशी, चिड़चिड़ापन रहने, बोलने-सुनने और समझने की क्षमता में कमी आ सकती है। कई बार इस रोग के कारण मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं। इसके अलावा इसके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क के किस हिस्से में सूजन आई है। अगर याददाश्त वाले हिस्से में सूजन आती है, तो याददाश्त कमजोर हो सकती है। चेहरे के क्रेनियल नसों वाले हिस्से में सूजन आने के कारण मुंह या आंखों में टेढ़ापन आ सकता है।
इंसेफेलाइटिस हो जाए तो क्या करना चाहिए?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के कारण इंसेफेलाइटिस होने पर एंटी वायरल या एंटी बैक्टीरियल दवाइयां दी जाती हैं। दिमागी सूजन कम करने और इसके कारण होने वाली अन्य जटिलताओं को कम करने के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है।
मच्छरों के काटने से भी बीमारी फैलती है इसलिए बचने के लिए फुल स्लीव्स वाले कपड़े पहनें। मच्छर न पनपने दें। जापानी इंसेफेलाइटिस, येलो फीवर वायरस के टीके लगवा सकते हैं।