भारत में छात्र आत्महत्या के मामले 50 फीसदी से भी ज्यादा बढ़े, एम्स के डॉक्टरों ने बताया इसका कारण

By :  vijay
Update: 2024-10-10 19:06 GMT

आईसी3 की ओर से जारी रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब छात्र आत्महत्याओं की संख्या किसानों की आत्महत्याओं से भी अधिक हो गई है. 2021 में 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी. यह आंकड़ा पिछले एक दशक में 57% तक बढ़ गया है. आईसी3 एक संस्थान है जिसने भारत में छात्रों की आत्महत्या के आंकड़ों के बारे में जानकारी दी है. आईसी3 की रिपोर्ट में देश में आत्महत्या के केस कई गुना तेजी से बढ़ने की बात की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर 40 मिनट में एक छात्र आत्महत्या कर लेता है, और इनकी संख्या कुल आत्महत्याओं की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ रही है. छात्रों की आत्महत्याओं की संख्या पिछले 10 वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है. लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है. इस बारे में एम्स के डॉक्टरों ने बताया है.

क्यों बढ़ रहे आत्महत्या के मामले?

पिछले दो दशक में देश में मानसिक समस्याओं में इजाफा हुआ है और अगर आत्महत्या के मामलों को देखें तो साल 2022-23 में भारत में सबसे ज्यादा खुदकुशी के मामले आए हैं. जिनका आंकड़ा करीब 1 लाख 70 हजार के आसपास है. इसकी बड़ी वजह है लोगों का खराब मानसिक स्वास्थ्य है. लोगों में डिप्रेशन बढ़ रहा है. एम्स के मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफेसर डॉक्टर नंद कुमार का कहना है कि लोग अगर बात करते हैं तो सिर्फ फिजिकल हेल्थ की बात की जाती है लेकिन हम भूल जाते हैं कि फिजिकल हेल्थ मेंटल हेल्थ से जुड़ा होता है. जितना हम एक्टिव रहेंगे, एक दूसरे से कनेक्ट रहेंगे, लाइफस्टाइल को ठीक रखेंगे, हम जो देखते हैं और सुनते हैं उसे पर कुछ कंट्रोल रखेंगे तो शायद यह समस्या थोड़ी कम हो सके.

आत्महत्या के इन आंकड़ों की बात करें तो इनमें करीब 40 प्रतिशत लोगों की उम्र 30 साल से नीचे की होती है. इससे पता लगता है कि यंग ऐज में डेथ होती है. इसको कंट्रोल करना बहुत जरूरी है. डॉ नंद ने बताया कि मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टर की मानसिक समस्याएं भी अब बहुत अधिक हैं. डॉक्टकों के सुसाइड, स्टूडेंट का सुसाइड के मामले भी बढ़ रहे हैं. डॉ नंद कहते हैं कि भारत में पिछले 10 सालों में छात्रों की आत्महत्या की लगभग संख्या दुगनी हो गई है. इसका बड़ा कारण खराब मानसिक सेहत ही है.

खराब मेंटल हेल्थ दिल की सेहत भी बिगाड़ रही

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफेसर डॉक्टर दीपक चोपड़ा का कहना है कि खराब मेंटल हेल्थ हार्ट की बीमारी का भी कारण बनती है. इससे हार्ट अटैक आने का रिस्क रहता है. अगर अपने ठीक से नींद नहीं ली है या फिर आप किसी नशे का शिकार हो गए हैं, तो इससे मानसिक सेहत खराब होती है और यह स्ट्रेस शरीर के कार्डियक फंक्शन डिस्टर्ब करता है. जब कार्डियक फंक्शन डिस्टर्ब हो जाता है तो उसमें हार्ट की बीमारियों से मौत होने की आशंका रहती है. कार्डियक अरेस्ट की 90 प्रतिशत वजह खराब मेंटल हेल्थ होती है. 90 प्रतिशत से ज्यादा दिल की बीमारी खराब मेंटल हेल्थ की वजह से होती है.

क्या है समाधान

डॉ दीपक कहते हैं कि मेंटल हेल्थ को ठीक करने के लिए योग बहुत अच्छी चीज है. योग और ध्यान से कोई भी व्यक्ति अपनी मेंटल हेल्थ को ठीक रख सकता है. आपको योग को अपने डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए.

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