बदलते मौसम में बढ़ी स्वास्थ्य समस्याएं, आयुर्वेदिक उपाय अपनाना जरूरी

Update: 2025-10-28 08:59 GMT

भीलवाड़ा। बदलते मौसम ने जिले में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बढ़ा दी हैं, खासकर छोटे बच्चों में सर्दी-जुखाम, खांसी और हल्के बुखार के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। मौसमी परिवर्तन के दौरान बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है, जिससे वे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की सेहत की देखभाल के लिए पारंपरिक और आयुर्वेदिक उपाय अपनाने की जरूरत है।

इस समय बच्चों को मौसम के अनुसार गर्म कपड़े पहनाना, गुनगुना पानी पिलाना और ठंडी व बासी चीजों से दूर रखना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी, अदरक, मुलेठी, हल्दी और शहद जैसे प्राकृतिक तत्व सर्दी-जुखाम से बचाव में बेहद लाभदायक होते हैं। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में थोड़ा शहद और हल्दी मिलाकर देने से बच्चों को गले की खराश और खांसी से राहत मिलती है। वहीं, रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध देना प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है।

अभिभावकों को बिना चिकित्सकीय परामर्श के बाजार में मिलने वाली ठंडी दवाइयों या सिरप का सेवन बच्चों को नहीं कराना चाहिए। इनसे तत्काल राहत तो मिलती है, लेकिन लंबे समय में नुकसान हो सकता है।

बच्चों के संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और स्वच्छ वातावरण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। हरी सब्जियां, मौसमी फल और घर का ताजा बना भोजन रोगों से बचाव में मदद करता है। हल्का व्यायाम और सुबह की धूप बच्चों के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक टॉनिक है।

थोड़ी सावधानी और आयुर्वेदिक दिनचर्या अपनाकर मौसमी बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है और बच्चों का स्वास्थ्य लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

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