थोड़ी सी जो पी ली है… अब सेहत को देना पड़ेगा जवाब: शराब की ‘सुरक्षित मात्रा’ पर टूटा भ्रम, नई रिपोर्ट ने खोला सच
रात के खाने के साथ एक ग्लास वाइन, किसी पार्टी में टोस्ट या दोस्तों के बीच हल्की ड्रिंक—ऐसे कई पल हैं जब लोग कहते हैं, “थोड़ी सी तो ठीक है।” लेकिन अब यही “थोड़ी सी” हमारी सेहत पर भारी पड़ सकती है। दुनिया भर में हो रहे नए शोध इस बात को साबित कर रहे हैं कि शराब का कोई भी स्तर वास्तव में सुरक्षित नहीं है।
विज्ञान ने बदला नजरिया: अब नहीं है कोई ‘सेफ ड्रिंक लिमिट’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकी सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल (CDC) की ताज़ा रिपोर्टों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “मॉडरेट ड्रिंकिंग” यानी सीमित मात्रा में शराब पीना भी शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, शराब शरीर पर “दोमुंही तलवार” की तरह असर डालती है। शुरुआती चरण में यह दिल की सेहत के लिए थोड़ी फायदेमंद या तटस्थ दिख सकती है, लेकिन जैसे-जैसे सेवन बढ़ता है, यही पेय शरीर के लगभग हर अंग को चुपचाप नुकसान पहुंचाने लगता है।
‘थोड़ी सी’ के पीछे छिपा बड़ा खतरा
कई लोग मानते हैं कि दिन में एक ग्लास वाइन या कभी-कभार बीयर लेना शरीर के लिए हानिकारक नहीं होता, लेकिन नई रिसर्च कहती है कि ऐसा सोचना भ्रम है।
शराब का सबसे पहले असर जिगर (लिवर) पर पड़ता है। फैटी लिवर, सूजन और अंततः सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों की शुरुआत “थोड़ी सी” शराब से ही हो सकती है।
इसके अलावा, शराब से शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, जिससे कैंसर, हृदय रोग और मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ता है।
दिल से दिमाग तक असर
शराब रक्तचाप और शुगर लेवल को अस्थिर कर सकती है।
यह नींद की गुणवत्ता को खराब करती है और डिप्रेशन का खतरा बढ़ाती है।
लंबे समय तक सेवन से याददाश्त, एकाग्रता और निर्णय क्षमता पर गहरा असर पड़ता है।
महिलाओं में यह हार्मोनल असंतुलन और ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकती है।
WHO की चेतावनी: “सेफ डोज़” नाम की कोई चीज़ नहीं
WHO का कहना है कि शराब के किसी भी स्तर को पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। “थोड़ी” या “कभी-कभार” ली गई शराब भी स्वास्थ्य जोखिम से मुक्त नहीं है।
CDC ने भी चेताया है कि हर अतिरिक्त ड्रिंक शरीर की आयु में कमी ला सकती है। अध्ययन बताते हैं कि हफ्ते में सिर्फ तीन से चार ड्रिंक लेने वालों में भी स्ट्रोक और लिवर डिजीज का खतरा सामान्य से कहीं अधिक पाया गया।
सोशल कल्चर से हेल्थ क्राइसिस तक
शहरों में वाइन या ड्रिंक को “लाइफस्टाइल” का हिस्सा मान लिया गया है। रेस्टोरेंट, बार और पार्टी कल्चर ने इसे सामाजिक आदत बना दिया है।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शराब से होने वाले नुकसान “साइलेंट” होते हैं — यानी शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते, और जब तक शरीर प्रतिक्रिया देता है, तब तक बीमारी गहराई तक पहुंच चुकी होती है।
क्या है विकल्प?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि तनाव या सामाजिक कारणों से शराब पीने की आदत बनी है, तो उसे धीरे-धीरे कम करना चाहिए।
वीकेंड ड्रिंक को जूस या मॉकटेल से रिप्लेस करें।
दिनभर पर्याप्त पानी पिएं और व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
अगर लत लग चुकी है, तो चिकित्सकीय सलाह और काउंसलिंग लेना जरूरी है।
निष्कर्ष: अब भ्रम तोड़ने का वक्त
कभी कहा जाता था — “थोड़ी सी शराब दिल के लिए अच्छी होती है।”
अब विज्ञान कहता है — “थोड़ी सी भी शराब, शरीर के किसी न किसी हिस्से को चुपचाप नुकसान पहुंचाती है।”
हर ग्लास के साथ जो राहत महसूस होती है, वही शरीर के लिए नई परेशानी की शुरुआत बन सकती है।
इसलिए अगली बार जब कोई कहे “थोड़ी सी तो पी लो…”,
तो याद रखिए — थोड़ी सी भी जहर बन सकती है, बस असर धीरे-धीरे दिखता है।
