मेंटल स्ट्रेस से भी होती डायबिटीज, ऐसे मानसिक तनाव बनता है इस बीमारी का कारण

By :  vijay
Update: 2024-09-21 18:48 GMT

आज के स्ट्रेसफुल वातावरण में कई लोगों को मानसिक तनाव की समस्या है. किसी को बच्चों की पढ़ाई का स्ट्रेस, किसी को नौकरी तो किसी को बीमारी का. आज हर कोई किसी न किसी बात को लेकर परेशान है और स्ट्रेस में है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये स्ट्रेस हमारी आधी से ज्यादा बीमारियों की सबसे बड़ी वजह है. जानकार कहते हैं कि किसी भी बीमारी की शुरुआत स्ट्रेस की वजह से होती है. ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है डायबिटीज जिससे आज हमारे देश में काफी आबादी जूझ रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये बीमारी भी स्ट्रेस की वजह से ही होती है.

दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्ट्रेस और डायबिटीज में गहरा संबंध है. स्ट्रेस होने पर शरीर में एक कोर्टिसोल नाम का हार्मोन रिलीज होता है इससे तनाव हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है. इस हार्मोन के रिलीज होने से शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ता है. यही वजह है कि स्ट्रेस की वजह से डायबिटीज बढ़ती है. जब जब आप स्ट्रेस में होते हैं तो आपका शरीर उस स्ट्रेस के प्रति संवेदनशील हो जाता है और एसआरएच, कोर्टिसोल, कैटेकोल माइन और थायराइड समेत कई हार्मोंस के स्तर में बदलाव होना शुरू हो जाता है. यही हार्मोन का इम्बैलेंस कई बीमारियों की जड़ बनता है. यही डायबिटीज के मामले में भी होता है.

पुरानी बीमारियों को भी करता है ट्रिगर

स्ट्रेस नई बीमारियों के साथ-साथ शरीर में मौजूद पुरानी बीमारियों को भी लगातार ट्रिगर करता रहता है जिससे उस बीमारी को ठीक करने में भी परेशानी आती है और लंबा समय लगता है. स्ट्रेस आपके शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है यही वजह है कि स्ट्रेसफुल व्यक्ति की बीमारी अन्य व्यक्ति की तुलना में लंबी चलती है. इसलिए आपको स्वस्थ रहने के लिए स्ट्रेस को मैनेज करना बेहद जरूरी है और उसके लिए जरूरी है स्ट्रेस के लक्षणों को पहचानना.

स्ट्रेस के लक्षण

स्ट्रेस का मतलब ये नहीं कि कोई व्यक्ति लटकता मुंह लिए अंधकार में बैठा रहे. काफी व्यक्ति रोजमर्रा की जिंदगी जीते हुए भी स्ट्रेस में रहते हैं लेकिन उन्हें ये मालूम ही नहीं होता कि कोई बात उन्हें परेशान कर रही है जिससे उन्हें स्ट्रेस है. इसलिए इसको मैनेज करने से पहले इसके लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है. इसके लक्षणों में

– सिर दर्द

– मांसपेशियों में दर्द या तनाव

– बहुत अधिक या बहुत कम सोना

– खुद को हर समय बीमार महसूस करना

– थकान

– बहुत ज्यादा या कम भूख लगना शामिल है.

स्ट्रेस की वजह से आपके व्यवहार में निम्न बदलाव देखने को मिलते हैं

– किसी बात के लिए प्रेरणा न होना

– हर समय चिड़चिड़ा, उखड़ा-उखड़ा रहना

– हमेशा डिप्रेशन महसूस करना

– हर समय बेचैनी रहना

– कोई न कोई बात को सोचते रहना

– मित्रों और परिवार से दूर रहना

– बहुत अधिक या बहुत कम खाना

– बहुत अधिक गुस्सा आना

– अत्यधिक शराब पीना या स्मोकिंग करना

स्ट्रेस से बचाव कैसे करें

आपको समझना होगा कि किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए आपको उसके मूल कारण को ठीक करना बेहद जरूरी है और जैसा कि हम जान गए हैं कि ज्यादातर बीमारी का मूल कारण स्ट्रेस है ऐसे में स्ट्रेस को मैनेज करना बेहद जरूरी है जिसके लिए

– नियमित रूप से व्यायाम करें

– योग या मेडिटेशन का अभ्यास करें

– ध्यान जैसी माइंडफुलनेस तकनीकों का अभ्यास करें

– अपनों से बात करें

– कैफीन का सेवन कम करें

– पंसदीदा म्यूजिक सुनें या कोई अच्छी किताब पढ़ें.

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