भीलवाड़ा में सेहत से खिलवाड़: आपकी थाली में परोसा जा रहा है 'ज़हरीला पनीर'!
🚨संगठित गिरोह पामोलिन तेल, स्टार्च और केमिकल से बना रहे नकली पनीर
🚨स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी से पनप रहा काला कारोबार,
🚨शादी-समारोहों से लेकर आम घरों तक सप्लाई
भीलवाड़ा, हलचल : आपकी थाली में सजा, मुलायम और सफ़ेद पनीर, जिसे आप प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत समझकर अपने परिवार को खिला रहे हैं, वह शायद आपकी सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन हो। महानगरों की मिलावट की कहानियां अब पुराने दिनों की बात हो चुकी हैं। यह ज़हरीला कारोबार अब भीलवाड़ा और इसके आसपास के छोटे-छोटे गांवों और कस्बों की जड़ों तक अपनी पैठ बना चुका है। एक खुलासे में यह बात सामने आई है कि नकली और सिंथेटिक पनीर का एक संगठित नेटवर्क जिले में सक्रिय है, जो न केवल आपकी जेब पर डाका डाल रहा है, बल्कि आपके स्वास्थ्य के साथ भी एक गंभीर खिलवाड़ कर रहा है।
कैसे बनता है यह 'सफेद ज़हर'?
कहीं आप भी तो नहीं खा रहे नकली पनीर
जो पनीर आप बाजार से 300-400 रुपये प्रति किलो के भाव पर खरीद रहे हैं, उसे बनाने की लागत असली दूध के पनीर की तुलना में एक-चौथाई से भी कम है। सूत्रों के अनुसार, भीलवाड़ा में भी कुछ जगहों पर इस नकली पनीर को बनाने का काम गुपचुप तरीके से चल रहा है। इसे बनाने की प्रक्रिया जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही खतरनाक भी।इस 'ज़हरीला पनीर' को बनाने के लिए दूध का इस्तेमाल नाम मात्र का होता है। इसकी जगह, गिरोह के सदस्य इन सामग्रियों का उपयोग करते हैं:स्टार्च पाउडर: पनीर का वजन और मात्रा बढ़ाने के लिए अरारोट या अन्य सस्ते स्टार्च पाउडर का उपयोग किया जाता है। यह पनीर को ठोस और घना दिखाने में मदद करता है।
पामोलिन तेल: असली दूध की मलाई और चिकनाहट का एहसास देने के लिए इसमें घटिया गुणवत्ता वाला पामोलिन तेल मिलाया जाता है, जिसकी अधिक मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
औद्योगिक ब्लीच और डिटर्जेंट: पनीर को आकर्षक और दूध जैसा सफ़ेद बनाने के लिए इसमें औद्योगिक ब्लीच और डिटर्जेंट यूरिया,जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। ये रसायन शरीर के अंदर जाकर किसी धीमे ज़हर से कम काम नहीं करते।
कहीं आप भी तो नहीं खा रहे नकली पनीर
रासायनिक कोएगुलेंट (दही जमाने वाले पदार्थ): दूध को फाड़कर पनीर बनाने की प्राकृतिक प्रक्रिया की जगह, इस मिश्रण को तुरंत जमाने के लिए तेज़ और सस्ते रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है।इन सभी चीज़ों को मिलाकर एक ऐसा उत्पाद तैयार किया जाता है, जो पहली नज़र में बिल्कुल असली पनीर जैसा दिखता है, लेकिन असल में यह रसायनों का एक पिंड होता है।
मुनाफे का मकड़जाल: छोटे कस्बों तक फैली जड़ें यह केवल एक या दो लोगों का काम नहीं है, बल्कि एक सुसंगठित गिरोह इस काले कारोबार को चला रहा है। इसका नेटवर्क एक मकड़जाल की तरह फैला हुआ है:
फैक्ट्री मालिक: जो इन खतरनाक पदार्थों को मिलाकर बड़े पैमाने पर नकली पनीर का उत्पादन करते हैं।
वितरक और दलाल: ये लोग फैक्ट्री से माल उठाकर भीलवाड़ा शहर और आसपास के कस्बों जैसे गंगापुर, गुलाबपुरा, शाहपुरा और मांडलगढ़ तक पहुंचाते हैं। इन्होंने हर छोटे कस्बे में अपने दलाल नियुक्त कर रखे हैं।
स्थानीय दुकानदार: दलालों द्वारा इन दुकानदारों को भारी मुनाफे का लालच दिया जाता है। असली पनीर की तुलना में यह नकली पनीर उन्हें बेहद सस्ते दाम पर मिलता है, जिसे वे असली बताकर या थोड़े कम दाम पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं।
कैटरिंग और होटल व्यवसायी: शादी-ब्याह और बड़े समारोहों में पनीर की खपत बहुत ज़्यादा होती है। कई कैटरिंग सर्विस और होटल वाले लागत बचाने के चक्कर में आयोजकों से असली पनीर का पैसा वसूलते हैं और मेहमानों को यह ज़हरीला पनीर परोस देते हैं।
स्वास्थ्य पर सीधा हमला: डॉक्टरों की गंभीर चेतावनी शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, "यह नकली पनीर सिर्फ एक मिलावटी खाद्य पदार्थ नहीं है, यह स्वास्थ्य पर एक सीधा हमला है। आम उपभोक्ता के लिए इसे पहचानना लगभग असंभव है, क्योंकि इसका स्वाद और रूप असली जैसा ही होता है।"
संभावित स्वास्थ्य खतरे:
तत्काल प्रभाव: इसके सेवन से तुरंत फूड पॉइजनिंग, उल्टी, दस्त, पेट में तेज़ दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लिवर और किडनी पर असर: इसमें मौजूद औद्योगिक ब्लीच, डिटर्जेंट और अन्य रसायन शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों, लिवर और किडनी, को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। ये ज़हरीले तत्व इन अंगों की कार्यक्षमता को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं।
कमजोर इम्यूनिटी: असली पनीर प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों का खजाना होता है। जब शरीर को ये पोषक तत्व नहीं मिलते और बदले में रसायन मिलते हैं, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है।
कैंसर का खतरा: डॉ. शर्मा ने चेतावनी दी कि लंबे समय तक इन रसायनों का सेवन शरीर में कैंसर कोशिकाओं को जन्म दे सकता है। यह एक धीमा ज़हर है जिसके परिणाम सालों बाद सामने आते हैं।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग: क्यों है यह रहस्यमयी चुप्पी?
सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यह है कि जब शहर से लेकर कस्बों तक यह ज़हरीला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, तो स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग मूक दर्शक क्यों बना हुआ है? खाद्य सुरक्षा निरीक्षकों की ज़िम्मेदारी है कि वे बाज़ार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करें, लेकिन इस मामले में उनकी निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। लोगों का आरोप है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर देखने की हिम्मत भी नहीं करते। यह चुप्पी कहीं मिलीभगत और तालमेल की ओर तो इशारा नहीं करती? इसी उदासीनता के कारण मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं और वे बिना किसी डर के लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर मोटी कमाई कर रहे हैं।
कैसे करें असली और नकली की पहचान?
हालांकि यह मुश्किल है, पर कुछ तरीकों से नकली पनीर की पहचान की जा सकती है:
आयोडीन टेस्ट: पनीर का एक छोटा टुकड़ा पानी में उबालकर ठंडा कर लें। इसके बाद इस पर कुछ बूँदें आयोडीन टिंचर की डालें। अगर पनीर का रंग नीला हो जाता है, तो इसका मतलब है कि इसमें स्टार्च मिलाया गया है।
मसलकर देखें: असली पनीर मुलायम होता है और मसलने पर बिखरता नहीं है। नकली पनीर रबर की तरह खिंच सकता है या मसलने पर छोटे-छोटे दानों में बिखर जाएगा।
स्वाद: नकली पनीर का स्वाद हल्का कड़वा या रासायनिक जैसा हो सकता है और खाने के बाद मुँह में एक अजीब सा स्वाद छोड़ जाता है।
यह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, एक अपराध है
इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए नाकाफी है। यह मुद्दा सिर्फ आर्थिक धोखाधड़ी का नहीं है, यह सीधे तौर पर जन-स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर अपराध है। जब तक इस गिरोह के सरगना, फैक्ट्री मालिक, और हर एक दलाल सलाखों के पीछे नहीं पहुंचता, तब तक खतरा बना रहेगा।प्रशासन को इस मामले में शून्य-सहिष्णुता (Zero Tolerance) की नीति अपनानी होगी और औचक निरीक्षण कर कठोर कार्रवाई करनी होगी। वहीं, नागरिकों को भी जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। बेहद सस्ते दाम पर मिलने वाले पनीर के लालच में न आएं और किसी भी प्रकार का संदेह होने पर तुरंत खाद्य विभाग या पुलिस को सूचित करें। वरना, "सस्ता पनीर" खाने की कीमत हमें और हमारे परिवार को अपने स्वास्थ्य से चुकानी पड़ सकती है।
सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है.
. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. भीलवाड़ा हलचल इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
