वर्ल्ड लंग कैंसर डे:: बदलती जीवनशैली बन रही फेफड़ों के कैंसर का कारण, युवा भी नहीं सुरक्षित

वर्ल्ड लंग कैंसर डे के मौके पर, कैंसर विशेषज्ञों ने एक चौंकाने वाली हकीकत बताई है। अब यह जानलेवा बीमारी सिर्फ बुज़ुर्गों को ही नहीं, बल्कि 40 वर्ष की आयु के युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। उनकी मानें तो इसकी मुख्य वजह आधुनिक जीवनशैली और बढ़ता तनाव है।
युवाओं में बढ़ता खतरा: कारण और चिंताएं
फेफड़ों का कैंसर तेजी से फैल रहा है, और इसकी वजह सीधे तौर पर धूम्रपान से जुड़ी है।
तनाव और धूम्रपान का मेल: आज के करियर-उन्मुख युवाओं में तनाव बहुत ज्यादा है। वे इस तनाव से मुक्ति पाने के लिए अक्सर सिगरेट का सहारा लेते हैं, जिससे फेफड़ों को गंभीर नुकसान होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आदतें: ग्रामीण इलाकों में भी बीड़ी और सिगरेट का सेवन आम है। यहाँ जागरूकता की कमी के चलते लोग इसके गंभीर परिणामों से अनजान रहते हैं, जिससे बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की सलाह: शुरुआती लक्षण पहचानें
एक प्रमुख कैंसर विशेषज्ञ ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "युवा मरीजों की बढ़ती संख्या वास्तव में चिंताजनक है। फेफड़ों का कैंसर अक्सर शुरुआती स्टेज में पकड़ में नहीं आता, जब तक कि वह गंभीर रूप न ले ले। यही वजह है कि इसका इलाज कठिन हो जाता है। जो लोग धूम्रपान करते हैं, या जो धूम्रपान करने वालों के आसपास रहते हैं (निष्क्रिय धूम्रपान), उन्हें किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।"
बचाव ही सबसे बड़ा इलाज
इस घातक बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना।
धूम्रपान छोड़ें: फेफड़ों के कैंसर से बचाव का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम धूम्रपान को पूरी तरह से छोड़ना है।
तनाव प्रबंधन: तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान या व्यायाम जैसी स्वस्थ गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
नियमित जांच: यदि आप जोखिम में हैं, तो नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें और स्वास्थ्य जांच कराएं।
यह वर्ल्ड लंग कैंसर डे हमें यह याद दिलाता है कि स्वास्थ्य की सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
इलाज से 70 फीसदी तक घट गई मौतें
लंग कैंसर से जहां 10 साल पहले 80 फीसदी मौतें होती थीं, अब 10 फीसदी घटकर 70 पर आ चुकी है। एडवांस ट्रीटमेंट से ऐसा संभव हो पाया है। सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. यूसूफ मेमन व हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल के अनुसार पहले की तुलना में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ी है। एक कारण यह भी है कि पुरुषों की तरह उन्हें भी स्मोकिंग की लत लग रही है।
लंग कैंसर के कारण
90 फीसदी मामले धूम्रपान के कारण होते हैं।
वायु प्रदूषण में खतरनाक पदार्थों के संपर्क में आने से।
एस्बेस्टस के संपर्क में आने से मेसोथेलियोमा नामक लंग कैंसर।
आर्सेनिक, कैडमियम, निकल, पेट्रोलियम उत्पाद व यूरेनियम।
बीमारी के लक्षण ये
लगातार खांसी या खांसी में खून आना।
सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ।
बिना किसी कारण वजन घटना।
लगातार थकान व कमजोरी महसूस करना।
कई मरीजों में खून की उल्टी।


