जयपुर. राजस्थान सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में प्रशासनिक पदों पर कार्यरत चिकित्सकों की निजी क्लीनिक या घर प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है। यह निर्णय चिकित्सा शिक्षा विभाग की नई गाइडलाइन के तहत लिया गया है।
चिकित्सा शिक्षा सचिव अबरीष कुमार ने बताया कि अब प्रधानाचार्य और संबद्ध अस्पतालों के अधीक्षक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। वे अपने आचार्य या वरिष्ठ आचार्य पद के कार्यों के लिए अधिकतम एक चौथाई समय ही दे पाएंगे। चयनित प्रधानाचार्य और अधीक्षक को विभागाध्यक्ष या यूनिट हेड बनने की अनुमति नहीं होगी। आवेदन के साथ शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा कि वे पूर्णकालिक रूप से अपने पद पर कार्य करेंगे।
**चयन प्रक्रिया और योग्यताएं:**
* प्रधानाचार्य पद के लिए केवल वरिष्ठ आचार्य पद पर कार्यरत एनएमसी मानदंडों के अनुसार पात्र शिक्षक आवेदन कर सकेंगे।
* नियुक्ति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित चयन समिति साक्षात्कार के आधार पर करेगी।
* चयन समिति में कार्मिक और चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव और स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय या मारवाड़ मेडिकल कॉलेज के कुलपति सदस्य होंगे।
* अधिकतम आयु सीमा 57 वर्ष तय की गई है।
* उम्मीदवार के पास अधीक्षक या अतिरिक्त प्रधानाचार्य के रूप में 3 वर्ष और विभागाध्यक्ष के रूप में 2 वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है।
सरकार का कहना है कि यह कदम मेडिकल संस्थानों में प्रशासनिक पदों की जवाबदेही और पूर्णकालिक सेवा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
