करवाचौथ पर मिट्टी के करवे से दें चंद्रदेव को अर्घ्य

By :  vijay
Update: 2024-10-16 20:25 GMT

करवाचौथ, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है.

करवाचौथ पर दिनभर व्रत रखने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं. इस मौके पर मिट्टी से बने करवे का इस्तेमाल करने की परंपरा भी आज के समय में विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही है. पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता और भारतीय परंपराओं के पुनरुत्थान के कारण मिट्टी के करवे का चलन तेजी से बढ़ा है.

 मिट्टी के करवे का महत्व

मिट्टी के करवे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राचीन काल से चला आ रहा है. इस पवित्र करवे का उपयोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने और विशेष रूप से चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए किया जाता है. माना जाता है कि मिट्टी प्राकृतिक और शुद्ध होती है, और इसका उपयोग पूजा में करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. इसके अलावा, मिट्टी के करवे पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं क्योंकि ये आसानी से नष्ट हो जाते हैं और किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाते.

 चंद्रदेव को अर्घ्य देने की विधि

 करवाचौथ पर मिट्टी के करवे से दें चंद्रदेव को अर्घ्य

करवाचौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देना व्रत की पूर्णाहुति का मुख्य हिस्सा होता है. जब चंद्रमा उदित होता है, तो महिलाएं एक थाली में जल, फूल, अक्षत (चावल), और दीपक रखकर पूजा करती हैं. इसके बाद, करवा में पानी भरकर चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है.

मिट्टी के करवे से अर्घ्य देने का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह धरती से जुड़ी सादगी और शुद्धता को दर्शाता है. माना जाता है कि मिट्टी के करवे से चंद्रदेव को अर्घ्य देने से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है.

 मिट्टी के करवे की बढ़ती लोकप्रियता

  करवाचौथ पर मिट्टी के करवे से दें चंद्रदेव को अर्घ्य

आज के समय में लोग प्लास्टिक और अन्य कृत्रिम सामग्रियों के विकल्प के रूप में मिट्टी के करवे को अधिक पसंद कर रहे हैं. पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ पारंपरिक पूजा विधियों में भी इसका महत्व अधिक हो गया है.

 बाजारों में मिट्टी के करवे विभिन्न आकर्षक डिजाइनों में उपलब्ध होते हैं, जो न केवल पूजा के लिए बल्कि सजावट के लिए भी प्रयोग में लाए जाते हैं. यह एक सस्टेनेबल विकल्प भी है, जिससे प्रकृति का संरक्षण किया जा सकता है.

इस करवाचौथ पर आप भी मिट्टी के करवे का उपयोग करके न केवल अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दें.

  

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