इस तरह से अपने किशोर में डालें अनुशाशन की आदत, जानें क्या है तरीका
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपने जीवन में काफी तरक्की करें तो ऐसे में हो जाता है कि आप उन्हें समय रहते अनुशाशन का पालन करना सिखाएं. बच्चों को अनुशाशन बचपन से ही सिखाना चाहिए लेकिन, एक ऐसा दौर भी आता है जब वे सबसे ज्यादा नियमों को तोड़ते हैं और उद्दंड हो जाते हैं. यह वह समय होता है जब आपके बच्चे किशोरावस्था में पहुंचते हैं. जब आपके बच्चे किशोर हो जाते हैं तो इस दौरान वे नियमों को सीरियसली नहीं लेते हैं और उन्हें तोड़ने लगते हैं. उनका व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है और वे आपकी कोई भी बात एक बार में नहीं मानते हैं. आज की यह आर्टिकल भी उन्हीं पेरेंट्स के लिए है जो किशोरावस्था के दौरान अपने बच्चों को अनुशाशन का पालन करना सिखाना चाहते है. आज हम आपको कुछ तरीके बताने जा रहे हैं जिनका पालन कर आप अपने बच्चों को डिसिप्लिंड बना सकते हैं
खुलकर करें बात
जब आप अपने किशोर से उनके व्यवहार के बारे में बात करते हैं, तो आपको उनका पक्ष भी सुनना चाहिए. अपने किशोरों के विचारों और भावनाओं में वास्तविक रुचि दिखाएं क्योंकि इससे आपको पता चल जाएगा कि उन्होंने वह क्यों किया जो उन्हें नहीं करना चाहिए था. इससे आपको अपने किशोर को और अधिक समझने में मदद मिलेगी.
बाउंडरीज सेट करे
आपको स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करना याद रखना चाहिए जैसे ‘आपको शाम 8 बजे से पहले वापस आना होगा क्योंकि यह अंधेरे में सुरक्षित नहीं है’. स्पष्ट नियम स्थापित करें और जब वे इसे तोड़ें तो आपको उन्हें लगातार लागू करना चाहिए. अपने किशोर को उनके कार्यों के स्वाभाविक परिणामों का अनुभव करने दें.
उनके प्रति रखें पॉजिटिव अप्रोच
जब आपके किशोर ने अपने काम में अच्छा काम किया है तो उनके सकारात्मक व्यवहार को स्वीकार करें और उनकी अचीवमेंट के लिए उन्हें पुरस्कृत करें. लोगों को यह बचकाना लग सकता है, लेकिन यह आपके बच्चे के विकास में अच्छा विश्वास दिखाता है और प्यार को बढ़ावा देता है. उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाएं, चाहे बड़े हों या छोटे.
सजा देकर सिखाएं
सजा के रूप में किशोरों को काम देना कई लोगों को अनावश्यक लग सकता है, लेकिन इससे उन्हें यह दिखाने का मौका मिलता है कि वे जिम्मेदार हैं और सक्षम हैं. उम्र के अनुसार कार्य और जिम्मेदारी सौंपें. जल्द ही वे दिखाएंगे कि क्या वे पर्याप्त जिम्मेदार हैं और आप अपने किशोर की स्वतंत्रता बढ़ा सकते हैं.
जरूरत पड़ने पर ले प्रोफेशनल की मदद
कभी-कभी यह आपके बच्चे जरुरत से ज्यादा उद्दंड हो जाते हैं या फिर शांत रहने लगते हैं. उनका बर्ताव पूरी तरह से बदल जाता है. हो सकता है कि वे किसी चीज़ से जूझ रहे हों और उसे व्यक्त करने में असमर्थ हों, इसीलिए वे अलग-अलग तरीकों से परेशान हो रहे हों जैसे कि मुसीबत में पड़ना. यदि आप अपने किशोर के व्यवहार को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो ऐसे में आपको एक प्रोफेशनल की मदद जरूर लेनी चाहिए.