Update: 2025-04-13 07:30 GMT
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चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने ऐसे संकेतों का उल्लेख किया है जो यह बताते हैं कि कोई परिवार या व्यक्ति बर्बादी की ओर बढ़ रहा है. ऐसा ही एक संकेत है – “जब घर के फैसले लेने के लिए घरवाले खुद सक्षम न रहें और बाहरी लोगों की मदद लेनी पड़े.”जब घर के फैसलों में लेने लगे बाहरवालों की मदद, समझ लें परिवार तबाही की कगार पर है.“- आचार्य चाणक्य

जब बाहरी व्यक्ति परिवार के अंदरूनी मामलों में निर्णय लेने लगे, तो वह परिवार का संतुलन बिगाड़ सकता है. ऐसे लोग कई बार अपने स्वार्थ के लिए पक्षपात करते हैं, जिससे रिश्तों में दरार बढ़ती है और परिवार की एकता खतरे में पड़ जाती है.

आचार्य चाणक्य का मानना था कि किसी भी परिवार की ताकत आपसी सहयोग और समझ में होती है. अगर परिवार के सदस्य मिलकर बैठकर समस्याओं का हल निकालें तो बाहरी मदद की कभी जरूरत नहीं पड़ती. इसीलिए चाणक्य हमें सचेत करते हैं कि यदि यह स्थिति उत्पन्न हो गई है तो उसे नजरअंदाज न करें, बल्कि समय रहते समाधान खोजें.

घर की बर्बादी की निशानी है ये एक लक्षण

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